राफेल सौदे पर आर-पार, अब कांग्रेस लाएगी विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव
राफेल सौदे पर केंद्र को घेरने में जुटी कांग्रेस बैकफुट पर आने को तैयार नहीं। कांग्रेस अब प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री के खिलाफ लोकसभा में विशेषाधिकार हनन नोटिस लाने की तैयारी में।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार पर रफेल जेट सौदे को लेकर कांग्रेस के ताजा पलटवार ने इस मुद्दे पर सियासत को गरमा दिया है। पूर्व रक्षामंत्री एके एंटनी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण ने राफेल की कीमत का खुलासा नहीं करने को लेकर देश को गुमराह किया है। उनके अनुसार गोपनीयता का समझौता सरकार को राफेल की कीमत बताने से नहीं रोकता है। कांग्रेस के मुताबिक यूपीए के मुकाबले एनडीए ने राफेल तीन गुने महंगे दाम पर खरीदे हैं और पीएम तथा रक्षा मंत्री ने लोकसभा में तथ्यों को छुपाया है। इसीलिए पार्टी सदन में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाएगी।
राफेल पर कांग्रेस के जवाबी विशेषाधिकार प्रस्ताव लाने की घोषणा ने ही संसद के मानसून सत्र में सियासी हलचल बढ़ा दी है। राफेल सौदे पर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दावों को भाजपा ने बेबुनियाद बताते हुए पहले ही लोकसभा में उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस दे दिया है। कांग्रेस ने भी आक्रामक रुख दिखाते हुए रक्षामंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन नोटिस देने का फैसला किया है। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा कि रक्षामंत्री के अलावा प्रधानमंत्री के खिलाफ भी यह नोटिस देने पर विचार-विमर्श हो रहा।
राफेल पर लोकसभा में पीएम और रक्षामंत्री के जवाब को खारिज करते हुए प्रेस कांफ्रेंस में एके एंटनी ने कहा कि निर्मला सीतारमण ने 2008 के जिस गोपनीय समझौते का हवाला दिया वह तथ्य से परे है क्योंकि समझौते में कीमत का खुलासा नहीं करने जैसी बात नहीं है। इतना ही नहीं 2008 में डील पर हस्ताक्षर नहीं हुए थे और छह कंपनियों के साथ राफेल भी एक दावेदार था। राफेल खुली निविदा के बाद दिसंबर 2012 में एल-1 के लिए चयनित हुआ। तब कीमत पर बातचीत हुई और 126 विमान खरीदा जाना तय हुआ।
एंटनी ने कहा कि फ्रांस ही नहीं रूस और अमेरिका के साथ भी गोपनीयता के समझौते इस समय हुए। लेकिन, रक्षामंत्री के नाते उन्होंने 2008 के बाद एडमिरल गोर्शकोव सुखोई जेट, कावेरी इंजन, मिराज विमानों के अपग्रेडेशन की कीमतें संसद में बताई। फ्रांस के संवैधानिक प्रावधान में कीमतों का खुलासा करना वहां अनिवार्य है। इसी तरह हमारे संविधान में भी सरकार संसद को कीमत बताने के लिए बाध्य है। संसद में खुलासे के बाद ही कैग और लोक-लेखा समिति इसकी पड़ताल करते हैं। एंटनी ने दावा किया कि सरकार जितना इसे छुपाने का प्रयास कर रही है, उस पर संदेह उतना ही बढ़ रहा है।
राफेल सौदे से जुड़े हजारों करोड़ के ऑफसेट कांट्रेक्ट एक निजी कंपनी को देने के राहुल के आरोपों को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए ने सौदे में तकनीकी ट्रांसफर सुनिश्चित किया था जिसे नई डील में हटा दिया गया। इस हिसाब से राफेल की कीमत यूपीए से भी कमहोनी चाहिए थी। एंटनी के साथ मौजूद आनंद शर्मा ने कहा कि इसके उलट यूपीए के 520 करोड़ की तय कीमत के मुकाबले एनडीए ने 1670 करोड रुपये प्रति विमान की खरीदी की। शर्मा ने कहा कि पीएम ने पुराना सौदा रद्द कर नई खरीद के लिए सीसीएस से पूर्व अनुमति नहीं लेने और ज्यादा कीमत चुकाने के सवालों की आखिर संसद में पुष्टि या खंडन क्यों नहीं किया। फ्रांस के राष्ट्रपति कांग्रेस अध्यक्ष की मुलाकात के दौरान मौजूद रहे शर्मा ने कहा कि फ्रांस ने मैंक्रा के साथ रॉफेल पर हुई राहुल की बात का खंडन नहीं किया है।