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फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मिले राहुल गांधी, नहीं की राफेल पर चर्चा

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की। इस दौरान राफेल सौदे पर कोई बात नहीं हुई।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Tue, 13 Mar 2018 08:27 AM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 11:29 AM (IST)
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मिले राहुल गांधी, नहीं की राफेल पर चर्चा
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों से मिले राहुल गांधी, नहीं की राफेल पर चर्चा

नई दिल्ली (प्रेट्र)। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की लेकिन राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर बात नहीं की। दोनों नेताओं ने उदारवादी लोकतंत्र, झूठी खबरों आदि मुद्दों पर चर्चा की। मुलाकात में राहुल गांधी के साथ पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी थे।

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कांग्रेस हाल के महीनों में राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर रही है। उसका आरोप है कि राफेल को ज्यादा कीमत पर खरीदा गया, इसलिए देश को नुकसान हुआ। मैक्रों से मुलाकात के बाद राहुल ने ट्वीट करके बताया कि उन्होंने उदारवादी लोकतंत्र के मायनों पर फ्रांस के राष्ट्रपति से लंबी चर्चा की। दोनों देशों के लोकतांत्रिक वातावरण के बारे में बात की। इस दौरान वैश्विक चुनौतियों पर भी चर्चा हुई। पर्यावरण को लेकर बढ़ रहे खतरों पर बात हुई।

मैक्रों से मुलाकात में राहुल ने राफेल का मुद्दा क्यों नहीं उठाया, इस पर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष हमेशा विदेशी राष्ट्राध्यक्ष से मिलते हैं। कांग्रेस के इतिहास रहा है कि वह आगंतुक मेहमान से मुलाकात में राष्ट्रहित का ध्यान रखती है। जहां तक राफेल सौदे का सवाल है तो उसमें छह गंभीर खामियां हैं जो मामले में घोटाला होने की ओर इशारा करती हैं। इंगित करती हैं कि राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता हुआ। सुरजेवाला ने कहा, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए लड़ाकू विमान की कीमत बताने से इन्कार कर दिया। लेकिन डसाल्ट एविएशन ने 2016 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि 58,000 करोड़ रुपये में उसका 36 राफेल विमान बेचने का भारत से समझौता हुआ है। इस हिसाब से एक विमान 1,670 करोड़ रुपये का पड़ा। यही विमान 11 महीने पहले मिस्त्र और कतर को 1,319 करोड़ रुपये में प्रति फाइटर की दर से बेचा गया। इस लिहाज से भारत को पूरे सौदे में 12,632 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

जबकि संप्रग सरकार के समय में 12 दिसंबर, 2012 को अंतरराष्ट्रीय निविदा में डसाल्ड एविएशन ने 526 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर से राफेल की बिक्री का प्रस्ताव रखा था। इसलिए देश की जनता जानना चाहती है कि मोदी सरकार ने 526 करोड़ रुपये का विमान 1,670 करोड़ में क्यों खरीदा? इससे देश को 41,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।


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