Congress President Election: हां ना के बीच आखिरकार दिग्विजय की उम्मीदवारी पर मुहर, ऐसे बदलते गए समीकरण..?
INC Congress President Election 2022 माना जा रहा था कि मुख्य मुकाबला अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच होगा लेकिन राजस्थान में सियासी बवाल के बाद पूरा परिदृश्य बदल गया। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनावी समर में कैसे बदलते गए समीकरण... जानने के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। आखिरकार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की बात स्वीकारते हुए चुनाव का नामांकन पत्र ले लिया। वह शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेंगे। सनद रहे दिग्विजय सिंह ने 23 सितंबर, 2022 को कहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। इस चुनावी रेस में दिग्विजय सिंह की एंट्री से पहले माना जा रहा था कि मुख्य मुकाबला अशोक गहलोत और शशि थरूर के बीच होगा लेकिन राजस्थान में सियासी बवाल के बाद पूरा परिदृश्य बदल गया। आइए जानें कांग्रेस अध्यक्ष के चुनावी समर में कैसे बदलते गए समीकरण...
गहलोत और थरूर के बीच माना जा रहा था मुकाबला
दो दशकों के बाद ऐसा पहली बार देखा जा रहा है जब कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की स्थितियां दिखाई दे रही हैं। पहले माना जा रहा था कि चुनाव में अशोक गहलोत और शशि थरूर आमने सामने नजर आ सकते हैं लेकिन राजस्थान में सीएम पद के लिए मची खींचतान ने पूरा समीकरण बदल दिया। सूत्र बताते हैं कि गहलोत गुट के विधायकों की बगावत के बाद पार्टी आलाकमान बेहद नाराज हो गया।
सोनिया गांधी ने खूब कराया इंतजार
दरअसल, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए दिल्ली आए थे। लेकिन दिल्ली में बुधवार देर रात तक दस जनपथ से समय नहीं मिल पाने के चलते उनकी सोनिया गांधी के साथ बैठक नहीं हो पाई थी। यहां तक की दूसरे दिन भी उन्हें काफी इंतजार करना पड़ा। इस घटनाक्रम को पार्टी आलाकमान की नाराजगी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
माफी मांगी लेकिन नहीं बनी बात
समाचार एजेंसी पीटीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अशोक गहलोत ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से माफी मांगी है। साथ ही यह भी एलान किया है कि वह अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से जुड़े सवाल पर गहलोत का यह भी कहना था कि इस बारे में सोनिया गांधी ही कोई फैसला करेंगी। संकेत साफ हैं कि गहलोत खेमे के विधायकों गोलबंदी पार्टी आलाकमान को बेहद नागवार गुजरी है।
आलाकमान के विश्वासपात्र हैं दिग्विजय
सूत्र बताते हैं कि राजस्थान में सियासी गतिरोध कायम रहने की वजह से पार्टी नेतृत्व ने दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाने का वैकल्पिक प्लान बनाया है। दिग्गी राजा पार्टी नेतृत्व के भरोसेमंद नेताओं में शुमार हैं। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्गी राजा पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की तरह ही भाजपा और आरएसएस के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं। उनका कांग्रेस के मौजूदा शीर्ष नेतृत्व से निकट सामंजस्य रहा है। यही नहीं लंबे समय तक पार्टी महासचिव रहे दिग्विजय सिंह की राहुल गांधी से नजदीकी भी जगजाहिर है।
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