कांग्रेस की राजनीतिक वापसी की राह पर प्लेनरी महाधिवेशन में होगा मंथन
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई स्टीयरिंग कमिटी की पहली बैठक में प्लेनरी महाधिवेशन की तारीख और एजेंडे को मंजूरी दी गई।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस की राजनीतिक वापसी की भविष्य की रूपरेखा पर गहन विचार मंथन के लिए पार्टी ने लंबे अंतराल के बाद अपना प्लेनरी महाधिवेशन बुलाने का फैसला किया है। कांग्रेस का तीन दिनों का यह प्लेनरी सत्र 16 से 18 मार्च को दिल्ली में होगा। इस बैठक में देश भर के पार्टी कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करने के बाद कांग्रेस अपने राजनीतिक रोडमैप की राह तय करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई स्टीयरिंग कमिटी की पहली बैठक में प्लेनरी महाधिवेशन की तारीख और एजेंडे को मंजूरी दी गई। राहुल के पार्टी प्रमुख के तौर पर कमान संभालने के बाद पहली बार प्लेनरी सत्र का आयोजन हो रहा है। इसमें एआइसीसी के सभी प्रदेशों से डेलीगेट के साथ ब्लॉक और जिला स्तर के कार्यकर्ताओं को भी खुले विचार मंथन के लिए बुलाया जाएगा।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने स्टीयरिंग कमिटी की बैठक के बाद प्लेनरी सत्र की तारीखों का एलान किया। साथ ही उन्होंने बताया कि राहुल गांधी ने बैठक में कांग्रेस के लिए नई दृष्टि और नई सोच की खुलकर वकालत की। इस लिहाज से राहुल ने तीन अहम मुद्दों की पार्टी के लिए खास जरूरत बताई। पार्टी में वरिष्ठ नेताओं के तजुर्बे के साथ युवाओं के जोश के मिश्रण से संगठन को आगे बढ़ाने की बात कही। सुरजेवाला ने कहा कि राहुल ने यह भी कहा कि कांग्रेस के गुलदस्ते में महिलाओं, दलितों और आदिवासियों के साथ पिछड़ों को प्राथमिकता देना हमारा पहला धर्म होना चाहिए।
स्टीयरिंग कमिटी की बैठक में दूसरा अहम मसला बेरोजगारी की हालत और युवाओं की बेचैनी के साथ कृषि क्षेत्र की खराब हालत रहा जिस पर गंभीर चिंता जाहिर की गई। वहीं राहुल ने तीसरे अहम मसले के रुप में कांग्रेस संगठन और राजनीतिक चुनौतियों को रखा। सुरजेवाला ने कहा कि प्लेनरी में आने वाले कार्यकर्ताओं के विचारों को सुनकर कांग्रेस अपने राजनीतिक रोडमैप के साथ देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों का समाधान निकालने का खाका तैयार कर इसे जनता के सामने रखेगी। इस प्लेनरी सत्र में ही राहुल के अध्यक्ष के रुप में चुनाव का अनुमोदन भी किया जाएगा।
कांग्रेस कार्यसमिति के चुनाव पर चुप
राहुल गांधी के कांग्रेस के नये अध्यक्ष बनने के बाद कार्यसमिति भंग हो गई है और स्टीयरिंग कमिटी का शुक्रवार को तत्कालिक कामकाज के लिए गठन किया गया है। प्लेनरी सत्र में कार्यसमिति के चुनाव कराने की संभावनाओं का पार्टी ने अभी तक कोई संकेत नहीं दिया। कार्यसमिति के सदस्यों का चुनाव कराने को लेकर चर्चा इसलिए हो रही है कि राहुल खुद पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की वकालत करते रहे हैं। इसीलिए कांग्रेस की भावी शीर्ष नीति निर्णायक संस्था के चुनाव होंगे या नहीं इसको लेकर निगाहें लगी है। कार्यसमिति के चुनाव की संभावना के सवाल पर रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि अभी ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी के 133 साल के इतिहास में केवल पांच बार ही कार्यसमिति के लिए चुनाव हुए हैं। इस क्रम में सुभाषचंद्र बोस के दो बार कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर कार्यसमिति के गठन का अधिकार दिये जाने का भी सुरजेवाला ने उदाहरण दिया। पुराने इतिहास का हवाला देने के संकेतों से साफ माना जा रहा कि राहुल की नई कार्यसमिति के चुनाव कराने की संभावनाएं फिलहाल कम दिख रही हैं।