इवीएम विवाद फिर गरमाया, कांग्रेस ने कहा- बैलेट पेपर से हो चुनाव
राहुल गांधी की रहनुमाई में हो रहे पहले प्लेनरी सत्र में पारित राजनीतिक प्रस्ताव इस लिहाज से अहम है कि कांग्रेस ने इवीएम विवाद को एक बार फिर धार दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने चुनाव को इवीएम की बजाय बैलेट पेपर से कराने और दलबदलुओं को छह साल के लिए चुनाव लड़ने से रोकने की मांग कर सियासत को एक बार फिर गरम कर दिया है। पार्टी के महाधिवेशन सत्र में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में इवीएम पर उठे सवालों के मद्देनजर चुनाव आयोग से बैलेट पेपर के जरिये चुनाव कराने को कहा गया है। सभी चुनाव एक साथ कराने की भाजपा की वकालत को भी पार्टी ने नकार दिया है। वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने गठबंधन की राह पर चलने का साफ संदेश देते हुए समान विचाराधारा वाले दलों के साथ मिलकर भाजपा को हराने की ताल ठोकी है।
राहुल गांधी की रहनुमाई में हो रहे पहले प्लेनरी सत्र में पारित राजनीतिक प्रस्ताव इस लिहाज से अहम है कि कांग्रेस ने इवीएम विवाद को एक बार फिर धार दी है। इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में देश भर से आए हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच राजनीतिक प्रस्ताव को तीन घंटे की चर्चा के बाद पारित किया गया। इसमें जनमत के विपरीत परिणामों में हेराफेरी करने से लेकर इवीएम के दुरुपयोग को लेकर राजनीतिक दलों के साथ आम लोगों के मन में भारी आशंकाएं हैं। इसीलिए चुनाव की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को बैलेट पेपर से चुनाव कराने के पुराने तरीके को फिर से अपनाना चाहिए। पार्टी ने दुनिया के बड़े लोकतांत्रिक देशों में बैलेट पेपर से चुनाव कराने का भी हवाला दिया है। ध्यान रहे कि तीन चार दिन पहले तृणमूल कांग्रेस ने भी इस मांग के साथ संसद परिसर में धरना दिया था।
लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की भाजपा सरकार के नजरिये को कांग्रेस ने गलत बताया है। उसके मुताबिक, संवैधानिक और व्यवहारिक दोनों कसौटी पर इसकी गहन समीक्षा होनी चाहिए। साथ ही इस पर राष्ट्रीय सहमति की जरूरत है।
दल बदल से जुड़ी संविधान की दसवीं अनुसूची के बावजूद खरीद-फरोख्त से सरकारें बनाने और विधानसभा अध्यक्षों के पक्षपाती रवैये का हवाला देते हुए कहा गया है कि इसे बंद करने के लिए कांग्रेस सत्ता में आने पर कार्रवाई करेगी। इसके लिए खुलेआम धनबल पर रोक लगाकर दलबदलुओं पर छह साल के लिए किसी भी चुनाव लड़ने पर रोक लगाएगी।
प्लेनरी सत्र के सबसे अहम राजनीतिक प्रस्ताव में एनडीए सरकार के साथ संघ और भाजपा पर भी सीधा हमला बोला गया है। कांग्रेस ने कहा है कि संघ-भाजपा भावनाओं को भड़का कर राजनीतिक फायदा उठाने और किसी भी कीमत पर सत्ता हथियाने के लिए धर्म का दुरुपयोग कर रहे हैं। पार्टी के मुताबिक, सभी को साथ लेकर चलना, मानवीय मूल्यों और हमारी मिली-जुली संस्कृति की रक्षा करना हिन्दू धर्म का सार है। जबकि भाजपा-संघ का 'हिन्दुत्व' असलियत में एक राजनीतिक विचाराधारा है और इससे भ्रमित नहीं होना चाहिए। प्रस्ताव में सांप्रदायिकता और आतंकवाद की कठोर निंदा करते हुए ऐसी ताकतों से लड़ने का पार्टी ने संकल्प दोहराया है। भाजपा-संघ के वैचारिक संगठनों की शिक्षा से लेकर तमाम संस्थानों में कब्जा कर उनको तबाह करने का दावा करते हुए सरकार के ऐसे कदमों को मनमाना ठहराया गया है।
कांग्रेस के इस प्रस्ताव में भाजपा पर केंद्र सरकार की एजेंसियों ताकत और सत्ता का खुलेआम राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है। इसमें कहा गया है कि बदले की भावना से विरोधियों को अपमानित करने के लिए इन एजेंसियों के जरिये उनका उत्पीड़न कर उन्हें सता रही है। पार्टी ने इसकी निंदा करते हुए भाजपा सरकार को चेतावनी दी है कि अभिव्यक्ति की आजादी और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने के उसकी हरकतों का वह पुरजोर विरोध करेगी। इसमें केंद्र पर राज्यपालों के कार्यालय का खुला दुरुपयोग कर जनादेश छीनने और बनावटी बहुमत से सत्ता हथियाने का भी गंभीर आरोप लगाया गया है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ पीएम मोदी के दावों को धराशायी करने के लिए राजनीतिक प्रस्ताव में रॉफेल जेट सौदे को महंगे दामों पर खरीदने में हुई प्रक्रिया की अनदेखी का सवाल उठाया गया है। कांग्रेस के मुताबिक, राफेल सौदे की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की उसकी मांग जायज है, क्योंकि अब इसको इसको लेकर सार्वजनिक रूप से कई सबूत मौजूद हैं। भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के दोहरे मानंदड का आरोप लगाते हुए अपने मुख्यमंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच नहीं कराना की बात कही गई है।
भाजपा पर काली कमाई करने वालों से लोगों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि भाजपा की रैलियों में बहाये जाने वाले पैसों से साफ है कि उसकी अकूत दौलत तक आसान पहुंच है। पीएनबी के सबसे बड़े बैंक घोटाले का भी इसमें जिक्र करते हुए इसके भगोड़े गुनहगारों को प्रत्यर्पित करा भारत लाने और सजा देने की मांग की गई है। राजनीतिक प्रस्ताव लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने रखा। इसमें वरिष्ठ नेताओं ने अपनी बात रखी मगर पार्टी के युवा चेहरों को बोलने का ज्यादा मौका दिया गया।