कांग्रेस ने पाक से वार्ता रद्द करने को सही ठहराया, कहा- देर से ही सही सरकार ने बात तो मानी
कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के लगातार बिगड़ते हालात के लिए एनडीए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए पाकिस्तान से वार्ता रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर के लगातार बिगड़ते हालात के लिए एनडीए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए पाकिस्तान से वार्ता रद्द करने के फैसले को सही ठहराया है। पार्टी ने कहा है कि शहीद बीएसएफ जवान के शव के साथ पाकिस्तान के बर्बर सलूक और आतंकी बुरहान वानी पर डाक टिकट जारी करने के बाद भी विदेश मंत्री स्तर की वार्ता का सरकार का फैसला गलत था। इसीलिए कांग्रेस ने गुरूवार को पाकिस्तान के दोगले चेहरे की बात उठाते हुए साफ कहा था कि ऐसे हालत में बातचीत का कोई मतलब नहीं है।
अमेरिका में पाकिस्तानी विदेश मंत्री के साथ विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की वार्ता रद्द करने ऐलान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह सही फैसला है। देर से ही सही सरकार को सद्बुद्धि हुई।
सिंघवी ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का नंगा खेल खेल रहा है और बीएसएफ जवान के साथ गुरूवार को उसने जो बर्बरता की उससे पूरा देश गुस्से में है। आतंकवादी बुरहान वानी को शहीद बताते हुए उसकी याद में उसने दो दिन पूर्व डाक टिकट जारी किया। ये दोनों घटनाएं सामने थीं फिर भी सरकार ने गुरूवार को न्यूयार्क में सुषमा स्वराज की पाक के विदेश मंत्री से वार्ता की घोषणा की।
सिंघवी ने कहा कि हमने गुरूवार को इसीलिए सरकार के फैसले पर सवाल उठाया था। जैश ए मोहम्मद और लश्करे तोयबा जैसे आतंकी संगठनों के पाकिस्तान में लगातार बढ़ते प्रभाव और अलकायदा से संबंधों पर अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि ये दोनों आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों में शामिल हैं। मगर सरकार ने वार्ता का ऐलान करने से पहले इन तथ्यों पर गौर नहीं किया जिससे उसकी लचर पाक नीति जाहिर होती है।
जम्मू-कश्मीर में पुलिसकर्मियों की हत्या, आतंकियों के भय से पुलिस वालों के इस्तीफे को बेहद गंभीर बताते हुए सिंघवी ने कहा कि सूबे के हालात राजनीति का मुद्दा नहीं हैं। मगर स्थिति इतनी नाजुक हो गई है कि भारत का सिरमौर जल रहा है और एनडीए सरकार जुमलेबाजी से आगे नहीं बढ़ रही।
2014 से हालात इतने खराब हो गये हैं जो शायद पहले कभी नहीं रहे और बीते चार साल में 414 जवान शहीद हो चुके हैं, जबकि 256 नागरिकों की हुई है। इसी तरह चार साल में सीमा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाएं पांच गुनी बढ़ गई है तो आतंकी हमलों में भी भारी इजाफा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की लचर नीति ही रही कि 70 साल में पहली बार पाकिस्तान ने रुस के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया और रुस ने अपने सैन्य हेलीकाप्टर भी पहली मर्तबा पाकिस्तान को बेचे हैं।