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कांग्रेस ने नहीं दी चिठ्ठी, ठाकरे की बढ़ाई धड़कनें, सोनिया और पवार की आज फिर होगी निर्णायक वार्ता

महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायकों ने साफ कहा कि हम केवल बाहर से ही समर्थन के पक्ष में नहीं बल्कि कांग्रेस को सरकार में शामिल होना चाहिए।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 11 Nov 2019 10:02 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 07:13 AM (IST)
कांग्रेस ने नहीं दी चिठ्ठी, ठाकरे की बढ़ाई धड़कनें, सोनिया और पवार की आज फिर होगी निर्णायक वार्ता
कांग्रेस ने नहीं दी चिठ्ठी, ठाकरे की बढ़ाई धड़कनें, सोनिया और पवार की आज फिर होगी निर्णायक वार्ता

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने महाराष्ट्र में शिवसेना को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का मन बनाने के बाद भी समर्थन की चिठ्ठी अभी नहीं दी है। शिवसेना के साथ सियासी दोस्ती की शुरूआत पर कांग्रेस को ज्यादा हिचक नहीं है मगर उसके साथ सत्ता का भागीदार बनने को लेकर पार्टी दुविधा में है। सूबे के अधिकांश कांग्रेस विधायक और नेता सत्ता का साझीदार बनने की हिमायत कर रहे हैं।

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कांग्रेस सियासी नफा-नुकसान पर मंगलवार को खोलेगी पत्ते

शिवसेना के साथ सत्ता की साझेदारी के सियासी नफा-नुकसान पर पार्टी में जारी मंथन से साफ है कि कांग्रेस अपने पत्ते मंगलवार को खोलेगी। समर्थन पत्र पर कांग्रेस के इस सस्पेंस ने महाराष्ट्र की सत्ता थामने को बेचैन शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की दिल की धड़कनें बढ़ा दी हैं।

शिवसेना को कांग्रेस के समर्थन की चिठ्ठी नहीं मिली

महाराष्ट्र में नये सियासी गठबंधन पर कांग्रेस में दिन भर जारी बैठकों के मैराथन दौर के बाद भी शिवसेना को समर्थन की चिठ्ठी नहीं मिल पायी।

राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने के लिए और समय देने से किया इन्कार

कांग्रेस के इस रुख के चलते महाराष्ट्र की सत्ता के खेल में नया पेंच फंस गया है क्योंकि राज्यपाल ने शिवसेना को सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए और समय देने से इन्कार कर दिया है।

सोनिया और पवार की मंगलवार को फिर होगी निर्णायक बात

कांग्रेस ने साफ कर दिया है पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी एनसीपी प्रमुख शरद पवार से इस मुद्दे पर दूसरे दौर की मंत्रणा करेंगी और इसके बाद ही पार्टी अपने फैसले की घोषणा करेगी।

महाराष्ट्र मुद्दे पर कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक

दस जनपथ में सोनिया गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस कार्यसमिति की महाराष्ट्र के मुद्दे पर सुबह हुई बैठक में ढाई घंटे की चर्चा के बाद सूबे के पार्टी नेताओं को दिल्ली बुलाया गया।

कांग्रेस ने किसी के समर्थन में नहीं दी चिठ्ठी

विशेष विमान से दिल्ली पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चौहान, पृथ्वीराज चौहान, सुशील कुमार शिंदे, प्रदेश अध्यक्ष बाला साहब थोराट आदि नेताओं की इसके बाद शाम चार बजे दस जनपथ में सोनिया और वरिष्ठ नेताओं से बैठक हुई। करीब चार घंटे तक चली इस बैठक के बाद कांग्रेस ने आधिकारिक तौर पर साफ कर दिया कि पार्टी की ओर से किसी के समर्थन में चिठ्ठी नहीं दी गई है। साथ ही सोनिया गांधी अभी एनसीपी नेतृत्व से और चर्चा करेंगी। हालांकि कांग्रेस नेताओं के साथ चर्चा के दरम्यान सोनिया गांधी की शरद पवार से फोन पर राजनीति और सत्ता के नये गठबंधन पर चर्चा हुई।

शरद पवार जो भी फैसला लेंगे कांग्रेस उसे स्वीकारेगी- सोनिया

कांग्रेस की ओर से जारी संक्षिप्त बयान में सोनिया की पवार से चर्चा की पुष्टि भी की गई। वैसे सोनिया गांधी पहले ही साफ कर चुकी हैं कि महाराष्ट्र की सियासत को लेकर शरद पवार जो भी फैसला लेंगे कांग्रेस उसके साथ रहेगी। इससे साफ है कि शिवसेना को समर्थन देने से कांग्रेस इनकार नहीं कर मगर साथ ही अपनी सियासी रणनीति के तहत वह शरद पवार को आगे रखना चाहती है।

राज्यपाल ने एनसीपी को बुलाकर सस्पेंस को एक और मोड़ दे दिया

वैसे राज्यपाल ने एनसीपी को चर्चा के लिए बुलाकर महाराष्ट्र की सत्ता के सस्पेंस को एक और मोड़ दे दिया है। सोनिया गांधी और शरद पवार की ताजा सियासी हालातों पर चर्चा के बाद कांग्रेस नेता भी मंगलवार को एनसपी प्रमुख से मिलेंगे।

कांग्रेस के अधिकांश नेता शिवसेना के साथ सत्ता का हिस्सेदार बनने के पक्ष में

जहां तक महाराष्ट्र के कांग्रेस नेताओं का सवाल है तो सुशील कुमार शिंदे और संजय निरूपम सरीखे चंद नेताओं को छोड़ अधिकांश पार्टी नेता शिवसेना के साथ सत्ता का हिस्सेदार बनने के पक्ष में हैं। कांग्रेस के चुनाव जीतने वाले 44 विधायकों में से अधिकांश विधायक इसी हिमायत में हैं।

कांग्रेस विधायकों ने कहा- पार्टी को सरकार में शामिल होना चाहिए

सूत्रों ने बताया कि कार्यसमिति की बैठक के दौरान ही पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने जयपुर के रिसोर्ट में ठहरे कांग्रेस विधायकों से बात करायी। कांग्रेस अध्यक्ष ने एक-एक कर विधायकों की राय जानी और बताया जाता है कि कम से कम 37 विधायकों ने साफ कहा कि हम केवल बाहर से ही समर्थन के पक्ष में नहीं बल्कि कांग्रेस को सरकार में शामिल होना चाहिए। विधायकों और नेताओं की इस राय के मद्देनजर ही कांग्रेस नेतृत्व को शिवसेना के साथ दोस्ती का स्वरुप तय करने पर अभी और माथापच्ची करनी पड़ रही है।


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