कर्नाटक में फिर किच-किच, सरकार बचाने में जुटे कांग्रेस-जदएस के नेता
जद एस ने बजट को लेकर विवाद सुलझाने से लेकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मसौदे पर सहमति बनाने की पहल शुरू कर दी है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक में कांग्रेस और जनता दल सेक्यूलर की गठबंधन सरकार में चल रही खींचतान को खत्म करने की शीर्ष स्तर पर कोशिशें शुरू हो गई है। कांग्रेस नेतृत्व जहां अपने विधायकों और पूर्व सीएम सिद्धारमैया को समझा रही है। वहीं जद एस ने बजट को लेकर विवाद सुलझाने से लेकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम के मसौदे पर सहमति बनाने की पहल शुरू कर दी है।
गठबंधन सरकार खींचतान के खतरों से बचाने की इसी कोशिश में एक जुलाई को कांग्रेस-जदएस गठबंधन समन्वय समिति की बैठक बुलाई गई है। कुमारस्वामी सरकार के नये बजट पेश करने को लेकर एतराज जता रहे कांग्रेस नेता सिद्धारमैया इस समिति के सदस्य हैं। इसीलिए माना जा रहा कि विधानसभा सत्र से पहले इस बैठक के जरिये मुख्यमंत्री कुमारस्वामी पूर्व कांग्रेस सीएम की आपत्तियों को दूर करने के लिए बीच का रास्ता निकालने का प्रस्ताव दे सकते हैं। हालांकि जद एस ने साफ कर दिया है कि पूरक बजट नहीं बल्कि कुमारस्वामी नई सरकार का पूर्ण बजट पेश करेंगे। सिद्धारमैया बजट में किसानों की कर्ज माफी के संभावित ऐलान का फायदा जदएस को मिलने को देखते हुए इसे बजट का हिस्सा बनाने के पक्ष में नहीं हैं। इसके लिए सिद्धारमैया अपने समर्थक कांग्रेस विधायकों के जरिये दबाव बना रहे हैं। इसी वजह से गठबंधन सरकार पर अस्थिरता के बादल मंडराने की बात कही जा रही है।
जद एस महासचिव और गठबंधन समन्वय समिति के संयोजक दानिश अली ने खींचतान के बारे में पूछे जाने पर कहा कि समिति की पहली जुलाई की बैठक में आपसी सहमति बन जाएगी। गठबंधन सरकार में खींचतान का सिलसिला रोकने के लिए दोनों पार्टियां साझा न्यूतनम कार्यक्रम को जल्द मूर्त रुप देना चाहती हैं। दानिश ने कहा कि साझा कार्यक्रम का मसौदा तैयार हो गया है और उम्मीद है कि समन्वय समिति की बैठक में इस पर मुहर लगा दी जाए। समन्वय समिति में कुमारस्वामी के साथ जद एस की ओर से दानिश अली हैं जबकि कांग्रेस की तरफ से सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वरन और कर्नाटक के प्रभारी महासचिव गठकेसी वेणुगोपाल शामिल हैं।