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जिनके पास नहीं उन्हें जारी किया जाए आपातकालीन राशन कार्ड: राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लॉकडाउन में खाने-पीने की गंभीर चुनौती से जूझ रहे गरीबों और मजदूरों को आपातकाल राशन कार्ड जारी करने की मांग की है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 15 Apr 2020 08:57 PM (IST)Updated: Wed, 15 Apr 2020 08:59 PM (IST)
जिनके पास नहीं उन्हें जारी किया जाए आपातकालीन राशन कार्ड: राहुल गांधी

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लॉकडाउन में खाने-पीने की गंभीर चुनौती से जूझ रहे गरीबों और मजदूरों को आपातकाल राशन कार्ड जारी करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राशन कार्ड नहीं होने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों को अनाज नहीं मिल रहा और उनके समक्ष भूखमरी की नौबत आ रही है।

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राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा कि हम सरकार से अपील करते हैं कि इस संकट में आपातकाल राशन कार्ड जारी किए जाएं। ये उन सभी के लिए हों जो इस लॉकडाउन में अन्न की कमी से जूझ रहे हैं। लाखों देशवासी बिना राशन कार्ड के पीडीएस का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। राहुल ने कहा कि एक ओर अनाज गोदामों में सड़ रहा है जबकि दूसरी ओर सैकड़ों भूखे पेट इंतज़ार कर रहे हैं और यह अमानवीय है।

राहुल ने कहा, मिडिल ईस्‍ट के देशों में फंसे लोगों को भारत लाने की व्‍यवस्‍था करे सरकार

राहुल ने एक और ट्वीट करके कहा, 'मिडिल ईस्ट में कोरोना वायरस संकट और व्यवसायों के बंद होने से हजारों भारतीय श्रमिक गहरे संकट में हैं और घर लौटने के लिए बेताब हैं। सरकार इन भाई-बहनों को मदद की काफी जरूरत है और इन्हें वापस लाने के लिए विमान की व्यवस्था की जानी चाहिए और फिर इन्हें क्वारंटाइन करना चाहिए।' बता दें कि विशेष विमान द्वारा चीन, ईरान और इटली समेत अन्य देशों में फंसे लोगों को वापस लाया गया है और इन्हें अलग-अलग जगहों पर क्वारंटाइन किया गया है।

आर्थिक संकट का रोडमैप नहीं आने पर कांग्रेस का सवाल

पीएम मोदी की लॉकडाउन बढ़ाने घोषणा के बाद कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि लॉकडाउन बढाने का हम समर्थन करते हैं। मगर इस घोषणा के साथ पीएम से कुछ अपेक्षाएं भी थी जो पूरी नहीं हुईं। खासकर लाखों की संख्या में फंसे प्रवासी मजदूरों की अगले 19 मुश्किल दिनों के खाने-पीने और रोजगार का कोई रोडमैप नहीं आया। इसी तरह 21 दिनों के पहले लॉकडाउन में टेस्टिंग की रफ्तार बढाने की क्षमता और रणनीति किस मुकाम पर पहुंची इसकी चर्चा नहीं की गई।

किसानों की चुनौतियों और मनरेगा मजदूरों के रोजगार के संकट की राज्यों से आ रही सूचनाओं पर भी कोई ठोस घोषणा नहीं हुई। न ही लोगों को नौकरियों से निकाल रही कंपनियों के खिलाफ किसी तरह के कार्रवाई की चेतावनी दी गई।

पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि लॉकडाउन बढाने की मजबूरी हम समझते हैं। मगर मुख्यमंत्रियों की ओर से मांगे गए पैसे के बारे में पीएम ने कुछ नहीं कहा।

कोरोना टेस्ट बढ़ाने की सरकार की योजना 

कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने पूछा कि कोरोना टेस्ट बढ़ाने की सरकार की क्या योजना है। अग्रिम मोर्चे पर तैनात चिकित्‍साकर्मियों को एन-95 मास्क और पीपीई किट की जबरदस्त कमी कब पूरी होगी। नौकरियों से छंटनी विकराल रूप ले रही तो सरकार की कोविड इकोनामिक टास्क फोर्स कहां गायब है। अर्थव्यवस्था की रीढ लघु और मध्यम उददोयग चौपट होने की कगार पर हैं तो इन्हें पटरी पर लाने की क्या योजना है। उनका सवाल था कि जब दुनिया भर की सरकारें कोरोना के आर्थिक संकट से पार पाने को अरबों रूपये का पैकेज दे रहीं हैं तो हमारी सरकार आखिरी पायदान पर क्यों खड़ी है।


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