देश की जलीय सीमा सुरक्षित करने के लिए नौसेना कमांडरों का सम्मेलन आज से
8 से 11 मई तक होने वाले चार दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण संबोधित करेंगी।
शिवांग माथुर, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के कमांडरों का चार दिवसीय सम्मेलन मंगलवार से शुरू होगा, जिसमें देश की जलीय सीमाओं एवं आसपास के क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न रणनीतिक पहलुओं पर विचार मंथन किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 'सागर' यानी 'सेक्युरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन द रीजन' के विजन को आगे बढाने वाले इस मिशन का लक्ष्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारतीय नौसेना के जहाजों की शांतिपूर्ण एवं प्रतिक्रियाशील उपस्थिति बनाये रखना है।
- 'सागर' यानी 'सेक्युरिटी एंड ग्रोथ फार आल इन द रीजन' के विजन को आगे बढाने पर होगा विचार
रक्षा मंत्रालय के अनुसार नौसेना इस साल नौसेना कमांडरों के द्विवार्षिक सम्मेलन में समीक्षा के लिए तैयार है, जिसका मकसद क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करना है। 8 से 11 मई तक होने वाले चार दिवसीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण संबोधित करेंगी, जिसके बाद वो रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से विस्तार में चर्चा भी करेंगी। बता दें कि कमांडरों का सम्मेलन साल मे दो बार होता है। वर्ष 2018 का यह पहला सम्मेलन होगा।
इसका मकसद भारतीय नौसेना की जहाजों की महत्वपूर्ण व मुश्किल जगहों पर मौजूदगी बनाना है। साथ ही जहाजों के गुजरने के लिए नए चक्र और मुकाबला दक्षता में सुधार के लिए उठाए गए विभिन्न उपायों के पूर्ण संचालन की जांच भी सम्मेलन में की जानी है। वही सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों, निरंतर प्रशिक्षण व जांच और अग्रिम पंक्ति के युद्धपोतों पर चालक दल की दक्षता संतुलन की भी समीक्षा भी इस सम्मेलन के प्रमुख मसलों में है।
नौसेना कमांडर सम्मेलन में अग्रिम पंक्ति के सैनिकों व सहयोगी सैनिकों के अनुपात में सुधार करने और कृत्रिम बुद्धिमत्ता और बड़े डेटा विश्लेषण जैसे विशिष्ट क्षेत्रों का पता लगाने पर विचार विमर्श भी किया जाएगा।
गौरतलब है कि हिंद महासागर में चीनी नौसेना की बढ़ती मौजूदगी को बेअसर करना और समुद्री डाकुओं द्वारा व्यापारिक समुद्री पोतों में दहशत फैलाने से रोकना भी इस सम्मेलन का मुख्य मसला हो सकता है। जब से हिंद महासागर में चीनी नौसैनिक हलचल में इजाफा हुआ है भारतीय नौसेना इसकी काट के लिये मिशन बेस्ड डिप्लायलमेंट फिलासफी पर काम कर रहे है। इस नई समुद्री रणनीति के जरिये यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हिंद महासागर में दूसरी नौसेनाएं भी भारतीय व्यापारिक मागरें को अवरुद्ध होने से रोकने में सक्षम हो सके।
पिछले वषरें में नौसेना का ध्यान इस बात को लेकर केन्दि्रत रहा है कि किस तरह नौसेना की लड़ाकू क्षमता को बढ़ाया जा सके और इसे हमेशा युद्ध के लिये चौकस रखा जा सके। इसके लिये नौसेना अपने 131 युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बेड़े को हमेशा चुस्त-दुरुस्त रखने की कोशिश कर रही है।
युद्धपोतों को किस तरह मेनटेनेंस के बाद समाघात भूमिका में जल्द से जल्द भेजा जा सके, इस पर गहन मंथन किया जाएगा। इसके अलावा नौसेना की यूनिटों में ट्रेनिंग मानकों की समीक्षा की जा रही है जिसके लिये शिप आपरेटिंग स्टैंडर्ड्स(शाप्स) को नये सिरे से विकसित किया जाएगा। इसके तहत वास्तविक युद्ध माहौल बना कर खास पृष्ठभूमि में ट्रेनिंग मानक तैयार करने का काम चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि तीनों सेनाओं में नौसेना ही ऐसी है जिसने अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल में बढत हासिल की है। कमांडर सम्मेलन के दौरान नौसेना की दांत व पूंछ का अनुपात यानी लड़ाकू और उनके सहायक सैनिकों का अनुपात अधिक संतुलित करने के प्रस्तावों पर भी विचार किया जाएगा।