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CAA Protests : आरएसएस ने कहा- अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं नागरिकता कानून का विरोध करने वाले

CAA Protests देश की जनता भली भांति समझ रही है कि इन संशोधनों से यहां के नागरिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 08:45 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 10:04 PM (IST)
CAA Protests : आरएसएस ने कहा- अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं नागरिकता कानून का विरोध करने वाले
CAA Protests : आरएसएस ने कहा- अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं नागरिकता कानून का विरोध करने वाले

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। CAA Protests : नागरिकता कानून में संशोधनों के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर आरएसएस गहरी नजर रखे हुए है। संघ के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि इसका विरोध करने वालों को जनता स्वीकार नहीं करेगी और वे खुद ही अलग-थलग पड़ जाएंगे। एक वरिष्ठ अधिकारी ने पश्चिम बंगाल और केरल का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां की सरकार विरोध प्रदर्शन का आयोजन जरूर कर रही है, लेकिन जनता का साथ उन्हें नहीं मिल रहा है।

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संघ ने नागरिकता कानून में संशोधनों का खुलकर किया समर्थन

संघ ने आधिकारिक रूप से नागरिकता कानून में संशोधनों का खुलकर समर्थन किया है, लेकिन वह इस पर हो रहे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के बीच फंसने से बच रहा है। यही कारण है कि हिंसक प्रदर्शनों के खिलाफ संघ के किसी भी वरिष्ठ नेता का कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।

विरोध करने वाले जेहादी मानसिकता के हैं- आरएसएस

संघ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि देश की जनता भली भांति समझ रही है कि इन संशोधनों से यहां के नागरिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है और इसका विरोध करने वाले कहीं न कहीं से जेहादी मानसिकता का समर्थन कर रहे हैं।

केरल और पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शनों को जनता का साथ नहीं

केरल और पश्चिम बंगाल में विरोध प्रदर्शनों को जनता का साथ नहीं मिलने का उदारहण देते हुए संघ के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि सोमवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद विरोध रैली का अगुवाई की। लेकिन इस रैली में पांच हजार से भी कम लोग मौजूद थे और उनमें भी अधिकांश मुस्लिम समुदाय के लोग थे।

सीपीएम, कांग्रेस व मुस्लिम लीग ने बंद के आह्वान को वापस लिया

केरल में सत्तारूढ सीपीएम, विपक्ष में बैठी कांग्रेस और मुस्लिम लीग ने नागरिकता कानून में संशोधनों के खिलाफ मंगलवार को बंद का आह्वान किया था, लेकिन बंद के खिलाफ बनते हुए जनमानस के देखकर पहले सीपीएम और बाद में कांग्रेस व मुस्लिम लीग ने भी बंद के आह्वान को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। 


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