सीबीआइ में घमासान: अफसरों के झगड़े की कहानी का सिलसिलेवार घटनाक्रम
सीबीआइ में अफसरों की बीच की लड़ाई खुलकर सामने आ चुकी है। देश की सर्वोच्च जांच संस्था जो दूसरे की जांच करती है, वह खुद आज जांच की आंच से गुजर रही है।
By Prateek KumarEdited By: Published: Fri, 26 Oct 2018 09:09 PM (IST)Updated: Sat, 27 Oct 2018 12:15 AM (IST)
नई दिल्ली,एजेंसी। सीबीआइ में अफसरों की बीच की लड़ाई खुलकर सामने आ चुकी है। देश की सर्वोच्च जांच संस्था जो अहम मामलों की जांच करती है, वह खुद आज जांच की अग्निपरीक्षा से गुजर रही है। इस पूरे मामले में सरकार से लेकर विपक्ष में घमासान मचा हुआ है। अब लड़ाई सड़क तक पहुंच गई है। इस घटनाक्रम में अबतक क्या हुआ, कैसे हुआ इस पर एक नजर डालते हैं।
- अप्रैल 2016 : गुजरात कैडर के आइपीएस ऑफिसर राकेश अस्थाना को सीबीआइ का एडिशनल डायरेक्टर चुना गया।
- 3 दिसबंर, 2016: सीबीआइ चीफ अनिल सिन्हा की सेवानिवृति के बाद अस्थाना को अंतरिम निदेशक चुना गया।
- 19 जनवरी, 2017 : आलोक कुमार वर्मा को सीबीआइ की कमान मिली और उन्हें दो साल के लिए निदेशक चुना गया।
- 22 अक्टूबर 2017: राकेश अस्थाना को स्पेशल डायरेक्टर बने।
- 2 नवबंर 2017 : वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। एक एनजीओ की तरफ से अस्थाना की नियुक्ति को चैलेंज किया गया।
- 28 नवबंर 2017 : हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस तवज्जो नहीं देते हुए इस याचिका को खारिज कर दी।
- 12 जुलाई 2018 : केंद्रीय सतर्कता आयोग ने प्रमोशन के लिए बैठक की। इस वक्त आलोक वर्मा विदेश दौरे पर थे। तब सीवीसी ने यह जानना चाहा कि वर्मा की जगह कौन मीटिंग में आएगा। अपने मुखिया के बाहर रहने पर सीबीआइ ने कहा कि अस्थाना को वर्मा की जगह जाने का अधिकार नहीं है।
- 24 अगस्त, 2018 : इस बात से संस्था में स्पेशल डायरेक्टर की हैसियत से तैनात राकेश अस्थाना खफा हो गए। इसके बाद उन्होंने कैबिनेट सेक्रेटरी को इस पूरे मामले की शिकायत की। इस मामले को केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेज दिया गया।
- 21 सितंबर, 2018 : सीबीआइ ने सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग) के समक्ष अस्थाना के बारे में कहा कि उन पर भ्रष्टाचार के छह मामलों में जांच का सामना कर रहे हैं।
- 15 अक्टूबर 2018 : सीबीआइ ने भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर अस्थाना के खिलाफ केस दर्ज कराया। इस मामले में डीएसपी देवेंद्र कुमार, दुबई के एक कारोबारी मनोज प्रसाद और उसके भाई सोमेश प्रसाद को नामित किया गया।
- 16 अक्टूबर : सीबीआइ ने बिचौलिए मनोज प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया।
- 20 अक्टूबर : सीबीआइ ने देवेंद्र कुमार के घर और ऑफिस में छापा मार कर मोबाइल और अन्य कागजात को जब्त कर लिया।
- 22 अक्टूबर : सीबीआइ ने देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इन पर मीट एक्पोर्टर मोइन कुरैशी से घूस लेने और बयान को तोड़मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगा।
- 23 अक्टूबर : कुमार ने हाइकोर्ट का रुख किया कि उसे गिरफ्तारी से राहत मिल सके। इसके कुछ समय बाद ही अस्थाना भी कोर्ट पहुंच गए। उनपर भी एक एफआइआर दर्ज था जिससे राहत पाने के लिए उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस पर दिल्ली हाइकोर्ट ने आलोक वर्मा से दोनों मामले में जवाब मांगा।
- इसके साथ ही कुमार को सात दिनों की हिरासत में भेजा गया। इसके बाद देर रात कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग ने वर्मा के अधिकार को छीनते हुए एम नागेश्वर राव को अंतरिम चीफ नियुक्त कर दिया।
- 24 अक्टूबर: आलोक वर्मा सरकार के इस आदेश के खिलाफ कोर्ट पहुंच गए। कोर्ट ने इस पर सुनवाई के लिए 26 अक्टूबर का समय दिया।
- 25 अक्टूबर: एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उठाया। कोर्ट ने कहा कि वह मामले की सुनवाई उनकी जरूरत के हिसाब से तय करेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने पांच दिनों के लिए मनोज प्रसाद की हिरासत को बढ़ा दिया।
- आइबी के चार अधिकारी आलोक वर्मा के घर के बाहर जासूसी करते गिरफ्तार हो गए। इसके बाद सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। आईबी की पुष्टि के बाद इन्हें छोड़ा गया। इन लोगों ने पुलिस को अपनी पहचान बताने से इंकार कर दिया था। इस मामले में विपक्ष ने भी सरकार पर जमकर हमला बोला है।
- 26 अक्टूबर : सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी को वर्मा के खिलाफ सभी आरोपों पर दो हफ्ते में जवाब देने को कहा है। इसके साथ ही राव को कोई भी नीतिगत फैसले लेने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को यह बताने को कहा गया है कि उन्होंने कौन-कौन से फैसले लिए गए हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, सीबीआइ, सीवीसी, अस्थाना, वर्मा और राव को एनजीओ की याचिका पर नोटिस भेजा है। इधर मनोज प्रसाद ने दिल्ली हाइकोर्ट से उसके खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद्द करने की मांग की है।
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