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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का 14 साल का वनवास खत्म करने के लिए नेत्रियां करेंगी पदयात्रा

महिला कांग्रेस पदयात्रा की तैयारी कर रही है, जिसकी रूपरेखा प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम तैयार करने में लगी हैं।

By Vikas JangraEdited By: Published: Tue, 17 Jul 2018 08:30 PM (IST)Updated: Tue, 17 Jul 2018 08:30 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का 14 साल का वनवास खत्म करने के लिए नेत्रियां करेंगी पदयात्रा
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का 14 साल का वनवास खत्म करने के लिए नेत्रियां करेंगी पदयात्रा

रायपुर [अनुज सक्सेना]। कांग्रेस का 14 साल का वनवास खत्म करने के लिए पार्टी का हर मोर्चा, संगठन और विभाग चुनावी मैदान में कूद पड़ा है। सरकार बनाने की कोशिश में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी जा रही है। महिला कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं है। महिला कांग्रेस पदयात्रा की तैयारी कर रही है, जिसकी रूपरेखा प्रदेश अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम तैयार करने में लगी हैं। पदयात्रा में महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव और प्रदेश प्रभारी इंद्राणी मिश्रा भी शामिल होंगी।

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विधानसभा चुनाव 2018 में जीत के लिए कांग्रेस लाव लश्कर के साथ जुटी है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया और प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने सभी मोर्चा, संगठन, विभाग और प्रकोष्ठों को उनसे संबंधित वर्गों को साधने के लिए अलग-अलग टास्क दे रखा है। महिला कांग्रेस को महिलाओं को साधने की जिम्मेदारी दी गई है। महिला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नेताम रणनीति के तहत चरणबद्ध तरीके से काम कर रही हैं।

नेताम का कहना है कि पहले संभाग स्तरीय महिला सम्मेलन कराया, ताकि महिलाओं के प्रति भाजपा सरकार के खोखले वादों को बताया जा सके। केवल बस्तर संभाग में महिला सम्मेलन नहीं हो पाया है। बारिश के चलते यहां सम्मेलन को रोककर रखा गया है। बारिश के सीजन में कांग्रेस ने मैदानी इलाकों को फोकस करने का फैसला लिया है। मैदानी इलाके में पदयात्रा की तैयारी चल रही है।

रायपुर, बिलासपुर या दुर्ग संभाग में महिला कांग्रेस पदयात्रा करेगी, जिसकी अभी तारीख तय नहीं हो पाई है। प्रदेश अध्यक्ष तीनों संभागों में रूट और तिथि के साथ कार्यक्रम बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेजेंगी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ही तय करेंगी कि महिला कांग्रेस की पदयात्रा से कहां ज्यादा फायदा होगा। प्रदेश अध्यक्ष नेताम ने बताया कि वे अगस्त में पदयात्रा रखने का कार्यक्रम बनाकर भेजेंगी।

अब बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे की खोलेंगी पोल

महिला कांग्रेस महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर लगातार उठा रही है। पिछले दिनों महिला कांग्रेस ने हर जिले में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन किया। रोड पर चूल्हा जलाकर खाना पकाया। अब महिला कांग्रेस सितंबर में भाजपा सरकार के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, नारे की पोल खोलने के लिए प्रदर्शन करेगी।

महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि भाजपा सरकार के नारे के पीछे की सच्चाई कुछ और है। छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान महिला प्रताड़ना और बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं। मासूम बच्चियां तक दुष्कर्म की शिकार हो रही हैं। बच्चियों, युवतियों और महिलाओं की सुरक्षा के लिए सरकार ने केवल नारा देने के अलावा कुछ नहीं किया है। इस पर भी हर जिले में प्रदर्शन किया जाएगा।

हर अनुभाग की कमेटी में रहेगी एक महिला

प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने पार्टी की नेत्रियों को हर अनुभाग की कमेटी में जगह देने की व्यवस्था की है। हर बूथ में 12-15 अनुभाग है। हर अनुभाग में एक सियान, एक जवान, एक महिला की कमेटी बनाई जा रही है। इस कमेटी का काम होगा, अपने-अपने वर्ग के मतदाताओं के बीच जाकर कांग्रेस का प्रचार और भाजपा सरकार के खिलाफ काम करना होगा। मतदान वाले दिन तक इस कमेटी की जिम्मेदारी बनी रहेगी। इन्हें ये देखना होगा कि इनके वर्ग के मतदाता वोट डालने के लिए घर से निकले हैं या नहीं? अगर, कोई वोट डालने नहीं गया है तो उसे मतदान केंद्र तक ले जाने की व्यवस्था करनी होगी।

महिला कांग्रेस के बाद पार्टी की यात्रा शुरू होगी

महिला कांग्रेस की पदयात्रा के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यात्रा पर निकलेंगे। सितंबर में संकल्प यात्रा शुरू करने का फैसला लिया गया है। समय कम रहेगा, इसलिए संकल्प यात्रा प्रदेश के चार कोनों से शुरू होगी। इसके लिए वरिष्ठ नेताओं का अलग-अलग दल बनेगा। उनके साथ स्थानीय नेता यात्रा में शामिल होंगे। पिछले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने परिवर्तन यात्रा निकाली थी।

25 मई 2013 को झीरम घाटी में परिवर्तन यात्रा के काफिले पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था, जिसमें तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, उनके पुत्र दिनेश पटेल, पूर्व नेता-प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल समेत 30 से अधिक लोग मारे गए थे। झीरम कांड की पांचवीं बरसी पर 25 मई 2018 को कांग्रेस ने संकल्प यात्रा की नींव रखी थी, जो कि झीरम घाटी से निकाली गई थी, जिसे जगदलपुर पहुंचकर विराम दे दिया गया था।


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