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विपक्षी एकजुटता को राहुल गांधी और चंद्रबाबू नायडू ने दी नई उम्मीद

राहुल गांधी ने कहा कि हमें लोकतंत्र और इस देश के भविष्य को बचाना है। इसीलिए, हम एक साथ काम करेंगे।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Thu, 01 Nov 2018 02:45 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 12:08 AM (IST)
विपक्षी एकजुटता को राहुल गांधी और चंद्रबाबू नायडू ने दी नई उम्मीद
विपक्षी एकजुटता को राहुल गांधी और चंद्रबाबू नायडू ने दी नई उम्मीद

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भाजपा के खिलाफ 2019 के सियासी संग्राम में विपक्षी दलों की एकजुटता की संभावनाओं ने एक बार फिर जोर पकड़ लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) के नेता चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात ने विपक्षी गोलबंदी की सियासत को अचानक नई उछाल दे दी है। कांग्रेस-टीडीपी के बीच पुरानी राजनीतिक दुश्मनी भुलाकर दोनों ने देश के लोकतंत्र को खतरे में बताते हुए हाथ मिलाने का एलान किया।

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विपक्षी एकजुटता के नए सूत्रधार के रूप में उतरे नायडू ने राहुल के अलावा एनसीपी नेता शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, सपा के शीर्ष नेता मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव, रालोद नेता अजित सिंह और भाजपा के असंतुष्ट नेता अरुण शौरी से भी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ मोर्चाबंदी पर मंथन किया।

राहुल और नायडू की मुलाकात में इस बात पर सहमति बनी कि भाजपा विरोधी सभी विपक्षी दलों की जल्द ही बैठक बुलाई जाएगी। विरोधी दलों के नेताओं के इस प्रस्तावित जमावड़े में ही भाजपा के खिलाफ विपक्षी गोलबंदी की दशा-दिशा पर विचार मंथन कर इसका स्वरूप तय किया जाएगा। राहुल गांधी ने नायडू से अपनी मुलाकात को 'बेहद महत्वपूर्ण' बताकर विपक्षी सियासत को नई धार देने के आगाज का साफ संदेश भी दिया।


कांग्रेस अध्यक्ष के आवास पर जाकर नायडू ने उनसे विपक्षी एकता को लेकर करीब सवा घंटे तक लंबी चर्चा की। इसके बाद राहुल और नायडू ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस कर 2019 में भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुट गोलबंदी की पहल को आगे बढ़ाने का एलान किया।नायडू ने कहा कि उनका मिशन पहले देश और उसके लोकतंत्र को बचाना है। इसीलिए हम सभी पार्टियों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की तैयारी कर रहे हैं ताकि लोकतंत्र को भाजपा के विध्वंसक प्रहार से बचाया जा सके।

उनका कहना था कि हमें खुद से पहले राष्ट्र के लिए सोचने की जरूरत है। इसलिए उनका राहुल गांधी से चर्चा करना जरूरी था क्योंकि यह हकीकत है कि कांग्रेस ही देश की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है और विपक्ष के सभी दलों के साथ मिलकर काम करने को लेकर उनकी राहुल से सैद्धांतिक सहमति बन गई है। कांग्रेस के साथ पुरानी सियासी दुश्मनी के बाद उससे हाथ मिलाने के सवाल पर नायडू ने कहा कि यह वक्त देश को बचाने का है और विपक्षी दलों के लिए साथ आना लोकतांत्रिक अनिवार्यता बन गई है।

राहुल गांधी ने भी कहा कि टीडीपी के साथ पुराने रिश्तों की बात में जाने का यह वक्त नहीं है बल्कि वह देश के वर्तमान और भविष्य के लिए नायडू के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि हमारा मकसद लोकतंत्र की सभी संस्थाओं पर वार कर रही भाजपा को हराना और देश को बचाना है। राहुल ने कहा कि राफेल का भ्रष्टाचार, किसानों की बदहाली, युवाओं की बेरोजगारी जैसे अहम मुद्दों पर विपक्षी दलों के साथ मिलकर 2019 में भाजपा को शिकस्त देंगे।

उनका कहना था कि राफेल की सही जांच होगी तो पैसे के लेनदेन और इसमें हुए भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राफेल के मुद्दे पर उनके रुख से दूसरे विपक्षी नेता भी सहमत हैं और वे अपनी आक्रामक लड़ाई को और आगे बढ़ाएंगे। मगर राहुल के दावे के उलट दूसरे विपक्षी नेताओं के राफेल मसले पर मुखर नहीं होने के सवाल पर चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि विपक्षी दल इसको लेकर जल्द ही अपना प्लान बनाएंगे और राहुल इस मसले को लीड कर रहे हैं।

भाजपा के खिलाफ इस एकजुट विपक्षी मोर्चे का नेतृत्व कौन करेगा, इस सवाल का राहुल और नायडू ने सीधा जवाब नहीं दिया। कांग्रेस अध्यक्ष ने पत्रकारों से चुटकी लेते हुए कहा कि आपकी रुचि सनसनी में है मगर बुनियादी बात यह है कि हम सभी मिलकर लोकतंत्र पर हो रहे हमलों के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और बाकी बातों पर चर्चा बाद में होगी।

राहुल से पहले नायडू ने एनसीपी नेता शरद पवार से उनके घर पर जाकर विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने पर गंभीर मंत्रणा की। इस दौरान नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला भी मौजूद थे। पवार और अब्दुल्ला ने भी साफ तौर पर भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की नायडू की पहल में खुलकर मैदान में उतरने का एलान किया। बता दें कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पिछले हफ्ते बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ भी अहम बैठक की थी। नायडू की इस धुआंधार पहल ने धीमी पड़ी विपक्षी एकता की सियासत में अचानक नई गति भर दी है।

भाकपा ने किया पहल का स्वागत
नई दिल्ली। एन. चंद्रबाबू नायडू की पहल का भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने स्वागत किया है। पार्टी महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने कहा, 'भाजपा को हराने के उनके विचार से हम सहमत हैं। भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता के हम हमेशा पक्षधर हैं। वर्तमान हालात में सभी पंथनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों की एकजुटता देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।'


ओवैसी ने नायडू की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल
हैदराबाद। ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि नायडू की तेलुगु देसम पार्टी उस वक्त नरेंद्र मोदी सरकार का हिस्सा थी जब शोध छात्र रोहित वेमुला, भीड़ की हिंसा के शिकार बने मोहम्मद अखलाक और अन्य की मौत हुई थी। अभी हाल तक और 2002 के 'गुजरात कार्यक्रम' के दौरान भी वह भाजपा के समर्थक थे।

राजनीतिक पर्यटन कर रहे नायडू : भाजपा
नई दिल्ली। भाजपा ने एन. चंद्रबाबू नायडू पर निशाना साधते हुए कहा कि वह राजनीतिक पर्यटन और फोटो सेशन के लिए दिल्ली आए हैं। पार्टी प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने दावा किया कि नायडू जैसे ही हैदराबाद पहुंचेंगे वैसे ही दिल्ली के लिए 'महागठबंधन' के उनके सभी प्रयास धराशायी हो जाएंगे। हुसैन ने कहा, 'आज कांग्रेस के साथ खड़े होकर चंद्रबाबू ने एनटी रामाराव की विरासत को ध्वस्त कर दिया है। जहां राहुल गांधी इतने कमजोर हैं कि वह किसी का भी समर्थन लेने के लिए तैयार हैं।'


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