Pulwama Effect : सिंधु जल समझौता रद्द हुआ तो पानी के भंडारण की होगी चुनौती
माना जा रहा है कि जल समझौता रद करते हुए नदियों का बहाव रोका गया तो पानी के भंडारण के लिए पर्याप्त इंतजाम की आवश्यकता होगी।
नई दिल्ली, आइएएनएस। पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत सरकार से पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा कदम उठाने की मांग की जा रही है। सिंधु जल समझौता रद कर पाकिस्तान जाने वाली नदियों का पानी रोके जाने की भी मांग की जा रही है। जिन नदियों का पानी रोकने की मांग उठ रही है उनमें सिंधु और ब्यास नदी प्रमुख हैं।
इस कदम से जुड़े पहलुओं पर भी चर्चा शुरू हो गई है। माना जा रहा है कि जल समझौता रद करते हुए नदियों का बहाव रोका गया तो पानी के भंडारण के लिए पर्याप्त इंतजाम की आवश्यकता होगी। इसके लिए भारतीय क्षेत्र में बड़े बांधों की जरूरत होगी। इस समय इन दोनों नदियों में आने वाला अतिरिक्त पानी ही पाकिस्तान भेजा जाता है।
यह कहना है कि केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के पूर्व अधिकारी एमएस मेनन का। मेनन लंबे समय तक सिंधु जल समझौता से जुड़े रहे हैं। हां, वह यह मानते हैं कि पाकिस्तान को पानी का बहाव भारत सीमित कर सकता है। भारत अगर भविष्य में ऐसा कोई कदम उठाना चाहता है तो उसे जल भंडारण की क्षमता और विकसित करनी होगी।
इसके लिए हमें बड़ी धनराशि खर्च करके बांध बनाने होंगे और रोके गए पानी के उपयोग की योजना बनानी होगी। सामान्य स्थिति में झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों काफी पानी रहता है। इस पानी से हमारी घरेलू जरूरत पूरी हो जाती है। 1960 में हुए सिंधु समझौते के तहत पूर्वी दिशा में बहने वाली ब्यास, रावी और सतलुज पर भारत का नियंत्रण है।
जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया है। इस समझौते को लेकर विवाद भी है, क्योंकि इसके तहत भारत की तुलना में पाकिस्तान को ज्यादा पानी मिलता है।