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राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के विरोध में केंद्र सरकार, कहा-खतरनाक मिसाल होगी कायम

केंद्र सरकार ने शीर्ष कोर्ट का बताया कि ऐसे किसी कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रतिकूल असर भी होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 10 Aug 2018 09:09 PM (IST)Updated: Fri, 10 Aug 2018 09:09 PM (IST)
राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के विरोध में केंद्र सरकार, कहा-खतरनाक मिसाल होगी कायम
राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के विरोध में केंद्र सरकार, कहा-खतरनाक मिसाल होगी कायम

नई दिल्ली, प्रेट्र।  केंद्र सरकार पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के लिए राजी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल कर उसने तमिलनाडु सरकार के इस आशय के आग्रह का विरोध किया है। उसने कहा है कि राजीव गांधी हत्याकांड के सातों दोषियों की सजा माफी से एक खतरनाक मिसाल कायम होगी।

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केंद्र ने शीर्ष कोर्ट का बताया कि ऐसे किसी कदम का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रतिकूल असर भी होगा। तमिलनाडु सरकार ने राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने का शीर्ष न्यायालय से आग्रह किया था। इस पर अदालत ने केंद्र सरकार से अपनी सहमति देने के लिए कहा था।

जस्टिस रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने गृह मंत्रालय की ओर से दाखिल जवाब को रिकार्ड में दर्ज कर लिया और मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। ध्यान रहे राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के तमिलनाडु सरकार के 2 मार्च, 2016 के पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने गत 23 जनवरी को केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह इस पर अपनी सहमति देने के बारे में तीन महीने के अंदर फैसला लेकर अदालत को सूचित करे।

तमिलनाडु सरकार ने अपने पत्र में कहा था कि राज्य सरकार ने राजीव हत्याकांड के सभी सातों दोषियों को रिहा करने का पहले ही निर्णय ले लिया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के 2015 के एक आदेश के अनुसार इस बारे में केंद्र की सहमति लेना आवश्यक है।

इस पर सुप्रीम कोर्ट में गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव वीबी दुबे ने जवाब दाखिल किया। इसमें कहा गया है, 'दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 435 का अनुपालन करते हुए केंद्र सरकार इन सातों दोषियों की सजा माफ करने के तमिलनाडु सरकार के प्रस्ताव से सहमत नहीं है।'

जवाब में आगे बताया गया, 'जिन लोगों ने 15 अन्य के साथ साठगांठ कर इस देश के पूर्व प्रधानमंत्री की भयानक तरीके से हत्या की, ऐसे चार विदेशी और उनके तीन भारतीय सहयोगियों को माफी देकर रिहा करने से एक खतरनाक मिसाल कायम होगी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसका व्यापक प्रतिकूल असर पड़ेगा।'

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक मानव बम धमाके में 21 मई, 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में हत्या कर दी गई। इस मामले में सातों दोषी संथन, मुरुगन, पेरारीवलन, नलिनी, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन और जयकुमार पिछले 25 वर्षो से जेल में बंद हैं। इन दोषियों की रिहाई को लेकर तमिलनाडु सरकार फरवरी 2014 से ही सक्रिय है। इन सभी दोषियों को पहले मौत की सजा मिली थी, लेकिन बाद में यह उम्र कैद में तब्दील हो गई।


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