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मोदी कैबिनेट ने कई अहम फैसलों पर लगाई मुहर, जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा आर्थिक आरक्षण

अब जम्मू-कश्मीर में भी सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसद आरक्षण का लाभ मिलेगा।

By Sanjeev TiwariEdited By: Published: Thu, 28 Feb 2019 07:02 PM (IST)Updated: Fri, 01 Mar 2019 12:52 AM (IST)
मोदी कैबिनेट ने कई अहम फैसलों पर लगाई मुहर, जम्मू-कश्मीर में भी लागू होगा आर्थिक आरक्षण

नई दिल्ली, पेट्र। अब जम्मू-कश्मीर में भी सामान्य वर्ग के गरीबों को नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसद आरक्षण का लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में गुरुवार रात हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित जम्मू कश्मीर आरक्षण संशोधन अध्यादेश 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी गई। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह जानकारी दी।

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इस अध्यादेश के तहत जम्मू-कश्मीर में सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण और सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को सरकारी नौकरियों में प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान है।

बैठक में जम्मू-कश्मीर सरकार के जम्मू कश्मीर संशोधन अध्यादेश को राष्ट्रपति द्वारा जारी करने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दी गई। इसके तहत जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 में संशोधन करने की बात कही गई है। इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा की तरह ही अंतरराष्ट्रीय सीमा (आइबी) के पास रहने वाले लोगों को सरकारी नौकरियों, प्रोफेशनल कॉलेजों में तीन प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। इससे 350 गांवों के करीब तीन लाख लोगों को फायदा होगा।

जल्द हो सकती है चुनाव की घोषणा
क्या गुरुवार को केंद्र सरकार ने अपनी ओर से यह संकेत दे दिया कि नए सप्ताह में कभी भी चुनाव की घोषणा हो सकती है? यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है, क्योंकि सरकार ने देर रात ताबड़तोड़ एक दर्जन फैसले लिए और उसमें हर क्षेत्र शामिल दिखा। इसमें किसान, चीनी मिल, मेट्रो से लेकर जम्मू-कश्मीर में आरक्षण का दायरा बढ़ाने तक कई फैसला शामिल था।

दरअसल माना जा रहा है कि मार्च में कभी भी चुनाव आयोग तिथि की घोषणा कर सकता है। पाकिस्तान के साथ हालात को लेकर यूं तो संशय की स्थिति बन गई थी लेकिन शायद सरकार हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहती है।

गन्ना किसानों के लिए केंद्र की बड़ी घोषणा
चुनावी साल में सरकार ने गन्ना किसानों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। इसके तहत गन्ना किसानों के एरियर भुगतान में चीनी उद्योग को कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी। सरकार ने इसके लिए 20 हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की है। गन्ना मूल्य के भुगतान के लिए सरकार ने चीनी उद्योग को अति रियायती दर वाला ऋण मुहैया कराया है। यह जानकारी केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दी। वह देर शाम कैबिनेट के फैसले की विस्तृत जानकारी दे रहे थे।

घरेलू बाजार से लेकर वैश्विक बाजार में चीनी का मूल्य लागत से भी नीचे चल रहा है। इसके चलते चीनी मिलें भारी वित्तीय संकट के दौर से गुजर रही हैं, जिससे किसानों के गन्ने का भुगतान करना मुश्किल हो रहा है। फरवरी के आखिरी सप्ताह तक चीनी मिलों पर गन्ने का बकाया बढ़कर 20 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक हो गया है। केंद्र सरकार ने हाल ही में चीनी उद्योग के आग्रह पर चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य दो रुपये प्रति किलो बढ़ाकर 31 रुपये किलो कर दिया था। इसे लेकर चीनी उद्योग ने बड़ी राहत महसूस की थी।

आगामी चुनाव को देखते हुए सरकार ने गन्ना किसानों की कठिनाइयों को आसान करने के लिहाज मिलों को रियायती दरों पर ऋण मुहैया कराने का फैसला लिया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देने आये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि चीनी मिलों के वित्तीय मुश्किलों को आसान करने के लिए यह फैसला लिया गया। ताकि मिलें किसानों गन्ने का भुगतान जल्दी से जल्दी कर सकें।

चीनी उद्योग को दिये जाने वाले इस रियायती ऋण का शत प्रतिशत उपयोग गन्ना मूल्य के भुगतान में किया जाएगा। चीनी उद्योग के दिये जाने वाले रियायती ऋण के ब्याज का बोझ केंद्र सरकार उठायेगी। इसके पहले चीनी उद्योग को इस तरह की राहत दी गई थी, जिसका फायदा मिलों को मिला था। उसी तर्ज पर राहत पैकेज की घोषणा की गई है।

मध्यस्थता केंद्र को अपने हाथ में लेगी सरकार
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मध्यस्थता केंद्र को सरकारी नियंत्रण में लेने के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसको लेकर जनवरी में लोकसभा में बिल पास हुआ था, लेकिन राज्यसभा की मंजूरी नहीं मिल पाई थी। तीन जून को लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के साथ ही यह बिल खत्म हो जाएगा। अध्यादेश में नई दिल्ली अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव है। यह स्वतंत्र एवं स्वायत्त केंद्र के रूप में काम करेगा।

कैबिनेट ने लापता और उत्पीडि़त बच्चों पर रिपोर्ट तक पहुंच के लिए भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते को भी मंजूरी दे दी। इस संबंध में भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) और अमेरिका के राष्ट्रीय लापता एवं उत्पीडि़त बाल केंद्र (एनसीएमईसी) के बीच पहले ही सहमति पत्र पर हस्ताक्षर हो चुका है।


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