सीबीआइ ने चिदंबरम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की मांगी अनुमति
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पी. चिदंबरम उस समय वित्त मंत्री थे, इसीलिए आरोप पत्र दाखिल करने के लिए सरकार की अनुमति जरूरी है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। आइएनएक्स कंपनी को कानूनी सीमा से अधिक विदेशी निवेश की अनुमति दिलाने के मामले में पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सीबीआइ ने केंद्र सरकार से इस मामले में पी. चिदंबरम के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करने की अनुमति मांगी है। एयरसेल-मैक्सिस डील घोटाले में ईडी पहले ही पी. चिदंबरम के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल कर चुका है।
सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पी. चिदंबरम उस समय वित्त मंत्री थे, इसीलिए आरोप पत्र दाखिल करने के लिए सरकार की अनुमति जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार को अनुमति देने के लिए कहा गया है। सीबीआइ की पूरी चार्जशीट तैयार है। सरकार की तरफ से हरी झंडी मिलते ही अदालत में उसे दाखिल कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आइएनएक्स को एफआइपीबी क्लीयरेंस देने के लिए मामले में एजेंसी के पास पुख्ता सबूत है और अदालत में वह आरोपों को साबित करने के लिए काफी है।
सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि टीवी न्यूज चैनल खोलने के लिए आइएनएक्स को 2007 में एफआइपीबी ने मात्र 4.62 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश लाने की अनुमति दी थी, लेकिन कंपनी पिछले दरवाजे से 305 करोड़ रुपये से अधिक का विदेशी निवेश ले लाई। इस मामले में फरवरी 2008 में ही कंपनी के खिलाफ आयकर विभाग और एफआइपीबी में शिकायत मिल गई थी और उसे नोटिस भी जारी कर दिया गया था। लेकिन नोटिस का जवाब देने के बजाय पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से संपर्क किया।
कार्ति चिदंबरम ने उन्हें कार्रवाई से बचने के लिए अपनी कंपनी चेस मैनेजमेंट सर्विसेज को सलाहकार रखने को कहा। इस तरह चेस मैनेजमेंट सर्विसेज की सलाह पर 305 करोड़ से अधिक के विदेशी निवेश को सही ठहरा दिया गया। कार्ति चिदंबरम की कंपनी की सलाह को मानते हुए एफआइपीबी और आयकर विभाग के अधिकारियों ने आइएनएक्स की दलीलों को स्वीकार कर लिया और जांच बंद कर दी।
ध्यान देने की बात है कि एफआइपीबी और आयकर विभाग दोनों ही वित्त मंत्रालय के मातहत हैं। बेटी की हत्या के आरोप में जेल में बंद पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी ने मजिस्ट्रेट के सामने 164 के तहत दर्ज कराये बयान में कार्ति चिदंबरम को रिश्वत देने की बात स्वीकार कर ली है। दोनों ने यह भी कहा कि इसके लिए वे तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम से भी मिले थे और मुलाकात में चिदंबरम ने उन्हें बेटे की कंपनी को मदद करने को कहा था। एफआइपीबी और आयकर विभाग की जांच से बचने की 'सलाह' के एवज में कार्ति चिदंबरम ने आइएनएक्स से 3.5 करोड़ रुपये की मोटी फीस वसूल की थी।