Pilatus Aircraft Deal : UPA सरकार में एक और घोटाले का पर्दाफाश, आरोपियों के ठिकानों पर CBI के छापे
Pilatus Aircraft Deal UPA सरकार में वायुसेना के लिए 2895 करोड़ रुपये में 75 ट्रेनर विमान खरीदने में 350 करोड़ रुपये से अधिक की दलाली लेने के मामले में CBI ने FIR दर्ज की है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Pilatus Aircraft Deal: राबर्ट वाड्रा की लंदन की प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में आरोपों से घिरे रक्षा दलाल संजय भंडारी पर CBI का शिकंजा कस गया है। संप्रग सरकार के दौरान वायुसेना के लिए कुल 2895 करोड़ रुपये में 75 ट्रेनर विमान खरीदने में 350 करोड़ रुपये से अधिक की दलाली लेने के मामले में CBI ने संजय भंडारी समेत वायुसेना व रक्षा मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर ली है।
एफआइआर दर्ज करने के साथ ही CBI ने दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में कुल नौ स्थानों पर छापा मारा, जिसमें संजय भंडारी का घर और ट्रेनर विमान बनाने वाली स्विस कंपनी पिलैटस का दफ्तर भी शामिल है।
सीबीआइ ने 2012 में खरीदे गए 75 ट्रेनर विमान में घोटाले के आरोपों की प्रारंभिक जांच तीन साल पहले शुरू की थी। प्रारंभिक जांच के दौरान खरीद प्रक्रिया के दौरान पिलैटस और संजय भंडारी के बीच आपराधिक साजिश के पुख्ता सबूत मिले। इसके साथ ही पिलैटस की ओर संजय भंडारी से जुड़ी कंपनियों के दिल्ली और दुबई स्थित खाते में सैंकड़ों करोड़ रुपये जमा कराए जाने के भी सबूत मिले। इन्हीं सबूतों के आधार पर CBI ने एफआइआर दर्ज करने का फैसला किया।
CBI की एफआइआर के अनुसार 2008-09 में संप्रग सरकार के दौरान वायुसेना 75 ट्रेनर विमान खरीदने का फैसला किया। इसके बाद स्विटजरलैंड की कंपनी पिलैटस ने संजय भंडारी की कंपनी आफसेट इंडिया के साथ इसमें मदद करने के लिए करार किया।
रार करने के साथ ही पिलैटस ने आफसेट इंडिया के दिल्ली स्थित स्टैनडर्ड चार्टर्ड बैंक के खाते में दो बार में 10 लाख स्विस फ्रैंस (मौजूदा विनिमय दर के हिसाब से लगभग सात करोड़ रुपये) जमा करा दिये। इसके बाद वायुसेना और पिलैटस के बीच 75 ट्रेनर विमान खरीदने पर करार हुआ। लेकिन करार में पिलैटस ने जानबूझकर संजय भंडारी की सेवाएं लेने की बात नहीं बताई। जबकि करार में किसी दलाल की सेवा नहीं लेने का स्पष्ट प्रावधान था।
सीबीआइ की एफआइआर के अनुसार 2011 से 2015 के बीच एक तरफ फिलैटस वायुसेना को ट्रेनर विमान सप्लाई कर रहा था, तो दूसरी ओर संजय भंडारी के भारत और दुबई स्थित कंपनियों में करोड़ों रुपये जमा करा रहा था। इस बीच 350 करोड़ रुपये जमा कराने के सबूत मिले हैं।
इस दौरान संजय भंडारी ने करोड़ों रुपये नकद देकर कई कंपनियां खरीदी और अपनी कंपनियों में नकद के बदले दूसरी कंपनियों से फंड ट्रांसफर कराया। सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूरे डील में 350 करोड़ रुपये से अधिक दलाली लिये जाने की आशंका है। जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि असल में कुल कितने की दलाली दी गई थी।
गौरतलब है कि संजय भंडारी का नाम राबर्ट वाड्रा के लंदन स्थित प्रोपर्टी खरीदने में सामने आया था। संजय भंडारी के यहां आयकर विभाग के छापे से इसके पुख्ता सबूत भी मिले थे और ED ने उससे शुरूआती पूछताछ भी की थी। जांच एजेंसियों के बढ़ते शिकंजे को देखते हुए संजय भंडारी चुपके लंदन भाग गया था। इसके बाद ED इस मामले में राबर्ट वाड्रा से कई बार पूछताछ कर चुकी है। आरोप है कि संजय भंडारी ने दलाली में मिली रकम से लंदन की प्रोपर्टी खरीदी थी, जिसका असली मालिक राबर्ट वाड्रा है और जांच एजेंसियां इस संबंध में पुख्ता सबूत होने का दावा कर रही हैं।
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