Move to Jagran APP

तब सोने की पालकी लेकर गए थे कैप्टन तो आज करतारपुर जाने से गुरेज क्यों?

मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि जिस देश के सैनिक उनके देश के सैनिकों और नागरिकों की हत्याएं कर रहे हों वहां वह नहीं जाना चाहेंगे।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Tue, 27 Nov 2018 09:22 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 12:48 PM (IST)
तब सोने की पालकी लेकर गए थे कैप्टन तो आज करतारपुर जाने से गुरेज क्यों?
तब सोने की पालकी लेकर गए थे कैप्टन तो आज करतारपुर जाने से गुरेज क्यों?

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। 30 नवंबर 2005 को तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सोने की पालकी लेकर गुरु नानक साहिब की जन्मस्थली ननकाना साहिब गए थे। 28 नवंबर 2018 को मौजूदा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने करतारपुर (जहां गुरु नानक साहिब ने प्राण त्यागे थे) में बनने वाले कॉरिडोर के शिलान्यास के मौके पर जाने से इन्कार कर दिया है।

loksabha election banner

इन 13 सालों में कैप्टन अमरिंदर सिंह में आए इतने बड़े बदलाव को आम लोगों को तो दूर उनके सबसे ज्यादा निकटवर्ती मंत्रियों और विधायकों को भी समझ में नहीं आ रहा है। दो दिन पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के शिलान्यास के समारोह में शामिल होने के न्यौते को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि जिस देश के सैनिक उनके देश के सैनिकों और नागरिकों की हत्याएं कर रहे हों वहां वह नहीं जाना चाहेंगे।

कांग्रेस पार्टी के नेताओं को यह बयान पच नहीं रहा है लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह के सामने मुंह खोलने की हिम्मत कौन करे? हालांकि पार्टी के कई सीनियर मंत्री और विधायक एक - दूसरे से उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कह रहे हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की कैबिनेट के अपने मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू , अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला तो पाकिस्तान पहुंच ही गए हैं। बल्कि, उनकी मित्र अरूसा आलम भी आज वाघा के रास्ते पाकिस्तान चली गई हैं, हालांकि अब कहा जा रहा है कि वे रूटीन में पाकिस्तान गई हैैं, करतारपुर में होने वाले समागम के लिए नहीं गई हैैं।

2005 की पाक यात्रा भी रही थी विवादों में
सीएम के तौर पर 2002-07 के अपने कार्यकाल में कैप्टन अमरिंदर सिंह शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा के दान से बनी सोने की पालकी लेकर ननकाना साहिब गए थे। तब उनकी यह यात्रा विवादों में रही थी। तब सोने की पालकी को कई शहरों के बीच से ले जाया गया। चूंकि यह शराब कारोबारी पौंटी चड्ढा के पैसों से बनी थी इसलिए इसको ले जाने का सिख जगत में काफी विरोध भी हुआ। लेकिन कैप्टन अमरिंदर सिंह न केवल इसे पाकिस्तान में ननकाना साहिब लेकर गए बल्कि वहां उन्होंने पाकिस्तानी पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज इलाही को पंजाब आने का निमंत्रण भी दिया। वह परवेज इलाही के मेहमान के तौर पर लाहौर भी रहे। कैप्टन के न्यौते पर पाक पंजाब के मुख्यमंत्री परवेज इलाही पंजाब आए और पटियाला में मुख्यमंत्री के मोती महल में लगभग एक सप्ताह बिताया।

अब क्या आया बदलाव
लेकिन इस बार की उपलब्धि 2005 से कहीं ज्यादा बड़ी है। करतारपुर कॉरिडोर को खोलने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सहमति बनना छोटी बात नहीं है और ऐसे मौके को लपकने की बजाए कैप्टन अमरिंदर सिंह का ठीक उलटा स्टैंड लेना पार्टी के गले नहीं उतर रहा है। पार्टी के एक सीनियर मंत्री और कैप्टन के करीबी माने जाने वाले सुखजिंदर सिंह रंधावा ने तो साफ कहा कि अगर उन्हें न्यौता मिलता तो हर हालत में पाकिस्तान जाते। यह ऐतिहासिक क्षण है जिसके वह गवाह बनना चाहते।

सोशल मीडिया पर आलोचना
सोशल मीडिया पर भी कैप्टन के इस कदम की सराहना कम, आलोचना ज्यादा हो रही है। कैप्टन के फेसबुक पेज पर कैप्टन के न जाने के फैसले संबंधी पोस्ट पर अनेक नकारात्मक कमेंट आए हैैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.