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पाम आयल मिशन को कैबिनेट की मंजूरी, खर्च होंगे 11 हजार करोड़; खाद्य तेलों के आयात पर घटेगी निर्भरता

केंद्रीय मंत्री ने किसानों के बारे में कहा कि इससे पूंजी निवेश बढ़ेगा। इसके साथ ही रोजगार पैदा करने में मदद मिलेगी। आयात पर निर्भरता कम होगी और किसानों की आय बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि तिलहन और पाम तेल के क्षेत्र और उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

By Neel RajputEdited By: Published: Wed, 18 Aug 2021 03:10 PM (IST)Updated: Wed, 18 Aug 2021 04:34 PM (IST)
वित्तीय मदद प्रति हेक्टेयर 12,000 से बढ़ाकर 29,000 रुपये की, पाम की उपज आने तक किसानों को मिलेगी मदद

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खाद्य तेलों की बढ़ती मांग के मद्देनजर आयात निर्भरता घटाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य तेल-पाम आयल मिशन को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। यह 11,000 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से शुरू होगा और इस मिशन को फिलहाल पूर्वोत्तर के राज्यों और अंडमान निकोबार द्वीप समूह में चलाया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की हुई बैठक में कृषि मंत्रालय के मसौदे को स्वीकृत कर लिया गया। कैबिनेट फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि इससे एक तरफ खाद्य तेलों पर आयात निर्भरता घटेगी और दूसरी तरफ किसानों की आमदनी को बढ़ाने में भी सहूलियत होगी। इस योजना के पूरा होने से पाम आयल उद्योग में पूंजी निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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उन्होंने बताया कि देश के 12 तटीय राज्यों में पाम आयल उत्पादन की संभावनाएं हैं। किसानों को दी जाने वाली वित्तीय मदद 12,000 प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 29,000 रुपये कर दी गई है। इसके अलावा रखरखाव और फसलों के दौरान सहायता में भी बढ़ोतरी की गई है। पुराने बागों में दोबारा खेती के लिए 250 रुपये प्रति पौधा के हिसाब से विशेष सहायता दी जा रही है। योजना के लिए 11,040 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। इसमें केंद्र की हिस्सेदारी 8,844 करोड़ रुपये और राज्यों की 2,196 करोड़ रुपये होगी। इसमें आय से अधिक खर्च होने की स्थिति में उस घाटे की भरपाई की व्यवस्था भी शामिल है। योजना के तहत वर्ष 2025 तक पाम आयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर तक बढ़ा दिया जाएगा। इसके हिसाब से कुल 10 लाख हेक्टेयर रकबा का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा। पाम आयल का रकबा इतना हो जाने से वर्ष 2025-26 तक पैदावार 11.20 लाख टन और 2029-30 तक 28 लाख टन तक पहुंच जाएगी।

इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आइसीएआर) की रिपोर्ट के मुताबिक देश में लगभग 28 लाख हेक्टेयर जमीन में पाम आयल की खेती की संभावनाएं हैं। तोमर ने बताया कि फिलहाल केवल 3.70 लाख हेक्टेयर में पाम आयल की खेती की जाती है। अन्य तिलहनों की तुलना में इसमें खाद्य तेलों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना अधिक होता है। प्रस्तावित योजना में पाम आयल की उपज का मूल्य निर्धारित किया जाएगा, ताकि मूल्य घटने की दशा में किसानों को किसी तरह का नुकसान न हो सके। भावांतर योजना की तर्ज पर किसानों को भुगतान किया जाएगा।


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