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Budget Session इसी महीने शुरू होगा, 1 फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट

इसी महीने 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होगा। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार यह सत्र 13 फरवरी तक चलेगा। हालांकि यह पूर्ण बजट न होकर वोट ऑन अकाउंट होगा।

By Digpal SinghEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 01:28 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 01:34 PM (IST)
Budget Session इसी महीने शुरू होगा, 1 फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट
Budget Session इसी महीने शुरू होगा, 1 फरवरी को पेश होगा अंतरिम बजट

नई दिल्ली, एजेंसी। इसी महीने 31 जनवरी से संसद का बजट सत्र शुरू होगा। सूत्रों से मिली खबर के अनुसार यह सत्र 13 फरवरी तक चलेगा। हालांकि यह पूर्ण बजट न होकर वोट ऑन अकाउंट होगा। मौजूदा 16वीं लोकसभा का कार्यकाल इसी साल मई में खत्म होने जा रहा है। पूर्ण बजट 17वीं लोकसभा गठित होने के बाद नई सरकार पेश करेगी। वोट ऑन अकाउंट के बारे में आगे बात करते हैं। पहले जानते हैं शीतकालीन सत्र का हाल।

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शीतकालीन सत्र में मोदी सरकार की उपलब्धियां
Upper Caste Reservation बिल को मोदी सरकार ने लोकसभा में पास करा लिया और यह सरकार की एक बड़ी उपलब्धि है। हालांकि अभी इस पर राज्यसभा की मुहर लगनी बाकी है। इसके अलावा मुस्लिम महिलाओं तीन तलाक के दंश से मुक्ति दिलाने के लिए भी बिल लोकसभा में पास हो चुका है, इस पर भी राज्यसभा की मुहर अब तक नहीं लगी है। सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल को भी लोकसभा पास कर चुकी है।

क्या होता है वोट ऑन अकाउंट
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत सरकार को हर साल संसद में एक वार्षिक वित्तीय विवरण पेश करना होता है। इसमें सालाना आय-व्यय का लेखा-जोखा होता है। इसे ही बजट कहते हैं। वैसे संविधान में बजट शब्द का उल्लेख नहीं है। हमारे देश में बजट पूरे वित्त वर्ष के लिए पेश किया जाता है जो पहली अप्रैल से अगले साल 31 मार्च तक के लिए मान्य होता है। देश में फरवरी में बजट पेश करने की परंपरा रही है, लेकिन चुनावों की वजह से इसमें कुछ फेरबदल भी करने पड़ते हैं।

पिछले कुछ समय से लोकसभा के चुनाव अप्रैल-मई में होते आए हैं, ऐसे में सरकार उस समय पूर्ण बजट पेश करने की स्थिति में नहीं होती, मगर सरकारी खर्चों को पूरा करने के लिए उसे इंतजाम जरूर करना पड़ता है, ताकि नई सरकार के आने तक सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से चलती रहें। इसके राजनीतिक एवं नैतिक निहितार्थ भी हैं। क्योंकि जिस सरकार के पास पूरे साल शासन चलाने का जनादेश नहीं है तो उसे पूरे साल का वित्तीय विवरण पेश करने से भी बचना होता है। ऐसी ही स्थिति में सरकार पूर्ण बजट पेश करने के बजाय कुछ महीनों का खर्च चलाने के लिए वोट ऑन अकाउंट पेश करती है। इसे लेखानुदान मांग, अंतरिम बजट और आम भाषा में मिनी बजट भी कहा जाता है।

सरकार नहीं लगा सकती कोई नया टैक्स
संविधान के अनुच्छेद 116 में इसका प्रावधान है। इसमें सरकार कोई नया टैक्स नहीं लगाती। वैसे भी संविधान के अनुच्छेद 265 में स्पष्ट उल्लेख है कि कानून के प्राधिकार के बिना कोई भी टैक्स नहीं लगाया जा सकता। इसलिए अंतरिम बजट में सरकार विभागवार आवंटन कर बस कुछ महीने का खर्च चलाने के लिए धनराशि की मांग संसद के समक्ष प्रस्तुत करती है। इस तरह सरकार पूर्ण बजट आने से पहले एडवांस में अनुदान लेती है।

यहां यह समझना जरूरी है कि लेखानुदान, अनुदान की मांगों और अनुदान की पूरक मांगों से भिन्न है। संविधान के अनुच्छेद 115 में अनुदान की पूरक मांगों की व्यवस्था दी गई है। दरअसल जब विनियोग के जरिये निकाली गई राशि किसी कार्य के लिए पर्याप्त नहीं होती है तो सरकार उस कार्य को पूरा करने या नया कार्य शुरू करने के लिए अनुदान की मांग संसद के समक्ष रखती है।


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