Budget 2019: अंतरिम बजट के साथ 100 दिनों के एजेंडे पर मिलेगा रेलवे को आवंटन
Budget 2019 चालू वित्त वर्ष के लिए पांच जुलाई को पेश होने वाले पूर्ण आम बजट में फरवरी में पेश अंतरिम बजट के अलावा नई सरकार द्वारा पेश 100 दिनों के एजेंडे की भी झलक होगी।
नई दिल्ली, ब्यूरो। Budget 2019 चालू वित्त वर्ष के लिए पांच जुलाई को पेश होने वाले पूर्ण आम बजट में फरवरी में पेश अंतरिम बजट के अलावा नई सरकार द्वारा पेश 100 दिनों के एजेंडे की भी झलक होगी।
इस वर्ष पहली फरवरी को 2019--20 के लिए पेश अंतरिम बजट में सरकार के कार्यवाहक वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने रेलवे में 1.58 लाख करोड़ रुपये के पूंजीगत निवेश का प्रस्ताव किया था। इसमें 64,587 करोड़ रुपये की राशि बजटीय सहायता के तौर पर दी जानी थी।
उक्त पूंजीगत निवेश में 7,255 करोड़ रुपये नई लाइनों के निर्माण, 2200 करोड़ रुपए आमान परिवर्तन, 700 करोड़ रुपये ट्रैक के दोहरीकरण, 6,115 करोड़ रुपये रोलिंग स्टॉक तथा 1,750 करोड़ रुपये की राशि सिग्नलिंग एवं टेलीकॉम मदों के लिए रखी गई थी। साथ ही खर्चो में कमी कर ऑपरेटिंग रेशियो को 96.2 से घटाकर 95 फीसदी पर लाने का वादा किया गया था।
बजट भाषण में गोयल ने कहा था कि भविष्य में शताब्दी की जगह इंजन रहित स्वदेशी सेमी-हाईस्पीड 'वंदे भारत' ट्रेनें चलाई जाएंगी और मेक-इन-इंडिया के तहत रोजगार सृजन को बढ़ावा दिया जाएगा। अंतरिम बजट में सरकारें अक्सर किराया- भाड़ा में संशोधन से बचती हैं।
गोयल ने भी यात्री किराया और माल भाड़ा में कोई छेड़छाड़ नहीं की थी। मगर पूर्ण बजट में इस तरह के कुछ साहसिक कदम उठाए जा सकते हैं। मोदी-2 सरकार प्रचंड बहुमत लेकर आई है। लिहाजा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन पूर्ण बजट में जहां अंतरिम बजट के तमाम प्रस्तावों को प्राय: ज्यों का त्यों रखेंगी, वहीं आमदनी बढ़ाने के लिए कुछ कड़वे उपाय भी लागू कर सकती हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीयूष गोयल को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की नई कमान जरूर सौंपी है, परंतु रेलवे की जिम्मेदारी बनाए रखी है। ऐसे में रेलवे को विभिन्न मदों में लगभग वे ही आवंटन प्राप्त होने की उम्मीद हैं, जो अंतरिम बजट में थे। लेकिन अंतरिम बजट की भांति किराया--भाड़ा के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी, कहना मुश्किल है। क्योंकि जब खर्चों में कमी न हो रही हो तो किराया- भाड़ों में बढ़ोतरी से आमदनी में इजाफा कर भी ऑपरेटिंग रेशियो को घटाया जा सकता है।
फिलहाल रेलवे को यात्री यातायात में सालाना 35 हजार करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। चुनिंदा प्रीमियम ट्रेनों में डायनामिक किराये को छोड़ 2014 के बाद से किराये में कोई एकमुश्त बढ़ोतरी नहीं हुई है। हालांकि घाटे को कम करने के लिए सरकार लोगों से एलपीजी की भांति रेलवे टिकट पर भी सब्सिडी छोड़ने की अपील कर रही है। वरिष्ठ नागरिकों को ये विकल्प कुछ वर्ष पहले ही दिया जा चुका था और उससे कुछ बचत हुई भी है। फिलहाल वर्तमान किराया दरों से रेलवे हर टिकट पर केवल 53 फीसदी लागत वसूल कर पाती है। बाकी 47 फीसदी खर्च उसे स्वयं वहन करना पड़ता है।
रेलवे का लक्ष्य धीरे- धीरे इस अंतर को घटाकर आधा करना है। यात्रियों से सब्सिडी की सुविधा वापस लेना नई सरकार के 100 दिनों के एजेंडे का प्रमुख हिस्सा है। इसके अलावा चार वर्षों में 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से 2,568 लेवल क्रॉसिंग खत्म करने के लिए अंडरपास और ओवरब्रिज बनाना तथा 15 हजार करोड़ रुपये के खर्च से दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली- मुंबई रूट पर 160 किमी की रफ्तार से ट्रेनें चलाना भी प्राथमिकता में है। एजेंडे में 50 स्टेशनों के पुनर्विकास के अलावा सरकार ने निजी क्षेत्र के सहयोग से कुछ रूटों पर ट्रेन सेवाएं संचालित करने की संभावनाएं तलाशने तथा रेलवे उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण की बात कही है।