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राजस्थान में कांग्रेस से नाराज बसपा मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में बिछाएगी राह में कांटे

निर्वाचन आयोग ने अभी मध्य प्रदेश विधानसभा की 27 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की है लेकिन राजनीतिक दलों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 06:58 PM (IST)Updated: Fri, 07 Aug 2020 06:58 PM (IST)
राजस्थान में कांग्रेस से नाराज बसपा मध्य प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में बिछाएगी राह में कांटे

आनन्द राय, भोपाल। निर्वाचन आयोग ने अभी मध्य प्रदेश विधानसभा की 27 सीटों पर उपचुनाव की घोषणा नहीं की है, लेकिन राजनीतिक दलों ने बिसात बिछानी शुरू कर दी है। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने अकेले अपने दम पर सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान पहले ही कर दिया है और अब सीटवार समीकरण साध रही है। उधर, राजस्थान में कांग्रेस में अपने छह विधायकों के विलय को लेकर बसपा की नाराजगी बढ़ी है। यह मामला अदालत में है और बसपा ने कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए मध्य प्रदेश में सक्रियता बढ़ा दी है।

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विधानसभा उपचुनाव में बसपा बिछाएगी कांग्रेस की राह में कांटे

विधानसभा उपचुनाव में बसपा के लिए अवसर भी है और कांग्रेस की राह में कांटे बिछाने का मंसूबा भी। अंदरखाने इसी रणनीति पर तैयारी चल रही है। हालांकि बाहर से वह भाजपा और कांग्रेस दोनों पर हमलावर है। अनुसूचित जाति वर्ग में बसपा का प्रभाव है और जिन सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें ग्वालियर-चंबल संभाग के इस वर्ग में बसपा ने मजबूत किलेबंदी की है। राजस्थान में अपने विधायकों के विलय के साथ अनुसूचित वोटों में सेंधमारी के लिए कांग्रेस लगातार बसपा को कमजोर करने का अवसर तलाशती है। इसीलिए बसपा की प्राथमिकता अपने प्रभाव वाली सीट जीतना और फिर कांग्रेस को हराना है।

बसपा जिताऊ उम्मीदवारों की पड़ताल कर रही है

जिन 27 सीटों पर चुनाव होने हैं, उनमें 25 सीटें कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे और दो सीटें विधायकों के निधन से रिक्त हैं। कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा के निधन से रिक्त हुई मुरैना जिले की जौरा सीट पर 2018 में बसपा के मनीराम धाकड़ और शिवपुरी जिले की पोहरी सीट पर कांग्रेस के सुरेश धाकड़ के मुकाबले बसपा के कैलाश कुशवाह दूसरे स्थान पर थे। इनके अलावा सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, गोहद, डबरा, करेरा, मुंगावली और मलहरा में बसपा तीसरे या चौथे स्थान पर रही। इन सीटों पर बसपा ने जिताऊ उम्मीदवारों की पड़ताल की है।

कांग्रेस के उम्मीदवारों के सामने आने के बाद बसपा खोलेगी अपने पत्ते

संकेत मिल रहे हैं कि कांग्रेस के उम्मीदवारों के सामने आने के बाद बसपा अपने उम्मीदवार तय करेगी। जिन क्षेत्रों में बसपा कमजोर है, वहां कांग्रेस को हराने वाले समीकरण को तरजीह दी जाएगी। हालांकि अधिकृत रूप से बसपा अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है, लेकिन कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए कोर ग्रुप को इस फार्मूले से अवगत करा दिया गया है।

कांग्रेस और भाजपा के असंतुष्टों पर नजर

अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण की शुरुआत के बाद राममय माहौल में भाजपा के बहुत से असंतुष्टों की भाषा बदल गई है, लेकिन कोई दावेदार चुनाव मैदान में उतरता है तो बसपा में उसे मौका मिल सकता है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद ग्वालियर-चंबल संभाग में कांग्रेस बहुत कमजोर हुई है, लेकिन कांग्रेस में टिकट के दावेदारों की संख्या कम नहीं है। बसपा कांग्रेसी असंतुष्टों पर भी दांव लगा सकती है।

बसपा बिना किसी गठबंधन के लड़ेगी चुनाव 

विधानसभा की सभी सीटों पर बसपा अपने बलबूते पर बिना किसी गठबंधन के चुनाव लड़ेगी। बसपा के सभी कार्यकर्ता संगठन को मजबूत करने में जुटे हैं। बसपा ने जमीनी स्तर पर मजबूत तैयारी की है। हम ज्यादातर सीटों पर जीतेंगे। कांग्रेस और भाजपा को तो जनता सबक सिखाएगी- इंजीनियर रमाकांत पिप्पल प्रदेश अध्यक्ष, बसपा, मध्य प्रदेश।


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