उपचुनावों के चलते दोनों विधायकों पर अनुशासनहीनता की कार्रवाई को लेकर बसपा सुप्रीमो बेबस
विधायकों पर इस वक्त अनुशासन की कार्रवाई कर बसपा असंतोष बढ़ाना नहीं चाहती चुनाव के बाद ही मामले की समीक्षा होगी।
भोपाल, स्टेट ब्यूरो। मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के दोनों विधायकों की अनुशासनहीनता पर कार्रवाई को लेकर सुप्रीमो मायावती बेबस हैं। प्रदेश की 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के चलते पार्टी सख्ती नहीं कर पा रही है। विधायक भलीभांति जानते हैं कि उनकी सदस्यता को खतरा नहीं है। उधर, राज्यसभा चुनाव के दौरान पार्टी लाइन के खिलाफ भाजपा को वोट देने पर समाजवादी पार्टी अपने विधायक राजेश शुक्ला को निष्कासित कर चुकी है।
उपचुनाव को लेकर बसपा रणनीति बनाने में जुटी
प्रदेश में होने वाले उपचुनाव को लेकर बसपा गंभीरता से मैदानी तैयारी के साथ रणनीति बनाने में जुटी है। खासतौर पर ग्वालियर चंबल संभाग की 16 सीटों को लेकर वह ज्यादा आशान्वित भी है, क्योंकि ये ऐसी सीटें हैं, जिनमें से ज्यादातर पर बसपा पूर्व में काबिज रह चुकी है। इसलिए पार्टी हाइकमान ने फिलहाल विधायक रामबाई और संजीव सिंह द्वारा भाजपा के राज्यसभा प्रत्याशियों को समर्थन देने की नाफरमानी को नजरअंदाज कर दिया है।
बसपा विधायकों की सदस्यता पर खतरा नहीं
पार्टी के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारी ने इस मुद्दे पर इतना ही कहा कि सारा मामला बसपा सुप्रीमो मायावती के संज्ञान में है। अभी तो यह मामला पुराना पड़ चुका है, इसलिए इस मुद्दे पर अब कोई चर्चा नहीं करना चाहता, लेकिन इस बेबसी का एक कारण यह भी है कि विधायकों को यह मालूम है कि उनकी सदस्यता पर खतरा नहीं है।
सपा ने इकलौते विधायक को पार्टी से निष्कासित कर दिया
बसपा ने अपना सारा फोकस उपचुनाव के दौरान ज्यादा से ज्यादा सीटों पर जीत सुनिश्चित करने पर लगा दिया है, क्योंकि इनमें से कुछ सीटें ऐसी भी हैं जहां बसपा प्रत्याशियों को निर्णायक वोट मिले थे। बसपा पदाधिकारियों का कहना है कि अभी हमारा ध्यान उपचुनाव की मैदानी तैयारियों पर है। इसके विपरीत सपा अध्यक्ष अखिलेश अग्रवाल ने अपने इकलौते विधायक शुक्ला को पार्टी लाइन के खिलाफ जाने पर निष्कासित कर दिया है। शुक्ला ने भी राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को वोट दिया था।
असंतोष बढ़ाना नहीं चाहती बसपा
बसपा विधायक रामबाई परिहार को दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर समर्थन संबंधी बयान जारी करना महंगा पड़ा था। पार्टी प्रमुख मायावती ने तुरंत ही उन्हें निलंबित कर दिया था। छह माह से वह अभी निलंबित ही चल रही हैं। इसके साथ ही रामबाई को पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेने पर रोक भी लगा दी गई है। बताया जा रहा है कि विधायकों पर इस वक्त अनुशासन की कार्रवाई कर बसपा असंतोष बढ़ाना नहीं चाहती, चुनाव के बाद ही मामले की समीक्षा होगी।