सबरीमाला मंदिर में जाने वाली दोनों महिलाओं ने कहा, हम कठपुतली नहीं हैं
शीर्ष कोर्ट ने सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी है।
तिरुवनंतपुरम, प्रेट्र। कट्टरपंथी संगठनों की धमकी के बावजूद सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली बिंदू और कनकदुर्गा ने कहा कि वे लोग किसी की कठपुतली नहीं हैं। दोनों महिलाओं ने अपने ऊपर लग रहे आरोपों को खारिज किया। आरोप है कि उनलोगों ने पुलिस और सरकार की शह पर यह कदम उठाया है। उन्होंने यह भी कहा कि उनका लक्ष्य सबरीमाला में दर्शन करना था और श्रद्धालुओं से कोई बाधा उत्पन्न नहीं की गई और उन्होंने दर्शन किया।
कनकदुर्गा ने कहा, 'सबरीमाला जाने वाले सभी तीर्थयात्री अत्यंत सहयोगी थे। हमें किसी तीर्थयात्री की ओर से कोई समस्या नहीं हुई। तीर्थस्थल से हम सुरक्षित वापस उतर भी आए।'
सदियों से 10 और 50 साल के बीच की महिलाओं पर लगी पाबंदी को तोड़ते हुए 42 वर्षीया बिंदू और 44 वर्षीया कनकदुर्गा ने बुधवार को मंदिर में दर्शन किया। दोनों को पुलिस से सुरक्षा मिली हुई थी।
मनोरमा चैनल को गुरुवार को दिए गए साक्षात्कार में कनकदुर्गा ने कहा कि सबरीमाला जाना उनका अपना फैसला था। संघ परिवार के संगठनों और विपक्षी पार्टी कांग्रेस की ओर से साजिश के आरोपों को खारिज करते हुए महिला ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के फैसले के आधार पर पुलिस का इस्तेमाल किया।
शीर्ष कोर्ट ने सभी उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति दी है। संघ परिवार और कांग्रेस का अरोप है कि दोनों महिलाएं पुलिस और सरकार के हाथों में खेल रही हैं। महिलाओं ने कहा कि उन्हें नहीं मालूम कि मुख्यमंत्री ने मंदिर तक उन्हें पहुंचाने में कोई भूमिका निभाई है। भाजपा एवं अन्य का पुलिस या राजनीतिक पार्टी एजेंडा निराधार है।