ऐडवोकेट इंदिरा जयसिंह और आनंद ग्रोवर को बॉम्बे हाई कोर्ट से अंतरिम राहत
सीबीआई ने इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर के खिलाफ विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन का मामला दर्ज किया था।
मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाई कोर्ट ने गुरुवार को सीबीआइ को इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर सहित इनके एनजीओ लायर्स कलेक्टिव के खिलाफ किसी भी प्रकार की कठोर कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है। जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस भारती डांगरे की पीठ ने सुनवाई की अगली तारीख 19 अगस्त तक के लिए अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है। बता दें कि जांच एजेंसी ने ग्रोवर और लायर्स कलेक्टिव के खिलाफ विदेशी चंदा विनियामक अधिनियम के उल्लंघन का मामला दर्ज किया था।
याचिकाकर्ताओं ने गुरुवार को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और सीबीआइ द्वारा एनजीओ और ग्रोवर के खिलाफ जून में दर्ज की गई एफआइआर को खारिज करने की मांग की। उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता अस्पी चिनॉय ने एफसीआरए उल्लंघन के सभी आरोपों का खंडन करते हुए आरोप लगाया कि प्राथमिकी और गृह मंत्रालय की शिकायत सत्ता के दुरुपयोग के बेहतरीन उदाहरण हैं।
दरअसल, एफसीआरए प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए गृह मंत्रालय की शिकायत पर सीबीआइ ने मई में प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में इंदिरा जयसिंह का नाम बतौर आरोपी शामिल नहीं किया गया था। सीबीआइ ने आरोप लगाया कि एनजीओ को 2009 से 2015 के बीच विदेशी फंड मिला, लेकिन वह इसका स्रोत बताने में असफल रहा।
सीबीआइ के वकील और एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा ग्रोवर और इंदिरा जयसिंह ने विदेशी फंड का प्रयोग अपने निजी हितों के लिए किया। उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय की शिकायत के मुताबिक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहने के दौरान भी इंदिरा जयसिंह ने एनजीओ से पारिश्रमिक लेना जारी रखा। यह पैसा वास्तव में एनजीओ को मिले विदेशी फंड का ही हिस्सा था।
इसका विरोध करते हुए चिनॉय ने कहा कि एनजीओ को मिलने वाले जिस कथित अज्ञात विदेशी धन की बात कही जा रही है वह दान या अनुदान नहीं था, बल्कि एक विशेष कार्य के लिए दिया गया पारिश्रमिक था और यह धन एफसीआरए अधिनियम के तहत नहीं आता है। उन्होंने पीठ को यह भी बताया कि इंदिरा जयसिंह ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहते हुए लायर्स कलेक्टिव से पारिश्रमिक लेने की कानून मंत्रालय से अनुमति ले ली थी।