'जावली' से तय होगी भाजपा की चुनावी रणनीति, जानिए- इसके पीछे की कहानी
मध्य प्रदेश भाजपा ने जावली का श्रीगणेश 10 नवंबर 2017 को ही कर दिया है, जो प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के नेतृत्व में काम कर रहा है।
भोपाल (नईदुनिया स्टेट ब्यूरो)। वर्ष 2003 में कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार को उखाड़ फेंकने में अहम भूमिका निभाने वाला भाजपा का वार रूम 'जावली' ही इस विधानसभा चुनाव में भी सारी रणनीति तय करेगा। मध्य प्रदेश भाजपा ने 'जावली' का श्रीगणेश 10 नवंबर 2017 को ही कर दिया है, जो प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत के नेतृत्व में काम कर रहा है।
इसका संचालन भाजपा के प्रदेश मुख्यालय से ही हो रहा है। इस बार 'जावली' में स्व. अनिल दवे की कमी होगी, जो इसके कर्ताधर्ता हुआ करते थे। दवे ने ही 2003 में भाजपा के रणनीति कैंप जावली को शुरू करवाया था। केंद्रीय मंत्री रहते हुए दवे का निधन 2016 में हो गया था।
'जावली' नाम के पीछे की कहानी भी रोचक है। जावली महाराष्ट्र की एक छोटी-सी रियासत थी। जावली के किले में मुगल शासकों ने शिवाजी को मारने की योजना बनाई थी। 10 नवंबर 1659 को अफजल खां ने इसी जावली में शिवाजी को एकांत में मिलने बुलवाया था। वह धोखे से शिवाजी की हत्या करना चाहता था लेकिन शिवाजी ने उसे मार गिराया।
इधर एक और वार रूम, अमित शाह की टीम संभालेगी आम चुनाव
पार्टी सूत्रों का कहना है कि भोपाल के 74 बंगले स्थित बी-18 में जिस वार रूम को तैयार कराया जा रहा है, इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के खास लोगों की टीम रहेगी, जो लोकसभा चुनाव 2019 की तैयारियां देखेगी। शाह विधानसभा चुनाव के दौरान यदि भोपाल में कैंप करते हैं तो यह वार रूम लोकसभा चुनाव की देशभर में चल रही तैयारियों से शाह को अवगत कराता रहेगा। ऐसी तैयारी इसलिए की गई है क्योंकि लोकसभा चुनाव में भी बहुत अधिक समय नहीं रह गया है।
मिस्टर बंटाधार का खिताब दिया था 'जावली' ने
2003 में हुए विधानसभा चुनाव में 'जावली' ने आक्रामक चुनाव प्रचार की शैली विकसित की थी। उसी टीम ने तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को मिस्टर बंटाधार के नाम से 'अलंकृत' किया था। 'जावली' की कमान फिलहाल पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर और संगठन महामंत्री सुहास भगत संभाल रहे हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही 'जावली' की पूरी टीम का गठन कर लिया जाएगा।
रणनीति तैयार की जाती है..
2003 में भाजपा सरकार में नहीं थी, इसलिए हमने अपने रणनीति केंद्र का नाम जावली रखा था। जावली का अपना एक इतिहास है। अब इसका काम चुनाव प्रबंधन समिति संभाल रही है। इसमें वोटर और पार्टी कार्यकर्ता के फीडबैक के आधार पर चुनाव प्रचार की रणनीति तैयार की जाती है। यहीं से संगठन के सारे कार्यक्रमों का संचालन किया जाता है।
- रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता मप्र भाजपा