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मप्र में विधान परिषद के मुद्दे पर भाजपा महिला नेता महदेले ने किया कांग्रेस सरकार का समर्थन

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि विधान परिषद के गठन से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 02 Nov 2019 11:28 PM (IST)Updated: Sat, 02 Nov 2019 11:28 PM (IST)
मप्र में विधान परिषद के मुद्दे पर भाजपा महिला नेता महदेले ने किया कांग्रेस सरकार का समर्थन

राज्य ब्यूरो, भोपाल। मध्य प्रदेश में विधान परिषद के गठन संबंधी राज्य सरकार के प्रस्ताव का भाजपा महिला नेता एवं पूर्व मंत्री कुसुम सिंह महदेले ने समर्थन किया है। गौरतलब है कि प्रदेश के भाजपा नेता इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं। देश के छह राज्यों में विधानसभा के साथ विधान परिषद भी काम कर रही है।

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विधान परिषद के गठन से बेहतर निर्णय लेने में मिलेगी मदद

महदेले ने कहा कि मध्य प्रदेश में विधान परिषद को लेकर सुंदरलाल पटवा सरकार (1990-92) के दौरान सहमति बन गई थी। अयोध्या विवाद के बाद पटवा सरकार बर्खास्त कर दी गई, फिर यह मुद्दा ठंडे बस्ते में चला गया। उन्होंने तर्क दिया कि उच्च सदन के माध्यम से सरकार को सुशासन और बेहतर निर्णय लेने में मदद मिलेगी।

कांग्रेस ने महदेले के विचारों का किया स्वागत

ट्वीट के जरिये महदेले ने यह भी कहा कि विधान परिषद के जरिये गैर-राजनीतिक व्यक्ति भी प्रदेश के विकास में योगदान दे सकेंगे। कांग्रेस ने महदेले के विचारों का स्वागत करते हुए कहा है कि वरिष्ठ भाजपा महिला नेता ने सत्य का साथ दिया।

कमलनाथ विधान परिषद बनाने का एलान कर चुके हैं

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ विधान परिषद बनाने का एलान कर चुके हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने वचन-पत्र में भी परिषद गठन का वादा किया था। मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव एसआर मोहंती विधानसभा परिषद गठन के संदर्भ में विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श कर चुके हैं।

छह राज्यों में द्विसदनीय विधानमंडल व्यवस्था लागू है

गौरतलब है कि आंध्रप्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में द्विसदनीय विधानमंडल व्यवस्था लागू है।

मध्य प्रदेश के भाजपा नेता परिषद के गठन संबंधी प्रस्ताव का कर रहे हैं विरोध

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि विधान परिषद के गठन से सरकारी खजाने पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा। प्रदेश में इसके गठन का कोई औचित्य नहीं है। पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा का मानना है कि इससे राज्य पर 100 करोड़ रुपये का वित्तीय भार आएगा। परिषद के गठन से राज्य को कोई फायदा नहीं होगा।


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