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BJP's Tripura Reshuffle: त्रिपुरा में फेरबदल से भाजपा का सख्‍त संदेश; प्रदर्शन से ही तय होगा नेतृत्व, कर्नाटक, हिमाचल और मध्य प्रदेश को लेकर भी अटकलें

त्रिपुरा में फेरबदल करके भाजपा ने सख्‍त संदेश दिया है कि उसके शासन वाले सूबों में प्रदर्शन से ही नेतृत्व तय किया जाएगा। भाजपा का मानना है कि सूबे की अगुवाई करने वाला नेता जनता में भी लोकप्रिय होना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 15 May 2022 08:53 PM (IST)Updated: Mon, 16 May 2022 07:43 AM (IST)
BJP's Tripura Reshuffle: त्रिपुरा में फेरबदल से भाजपा का सख्‍त संदेश; प्रदर्शन से ही तय होगा नेतृत्व, कर्नाटक, हिमाचल और मध्य प्रदेश को लेकर भी अटकलें
त्रिपुरा में फेरबदल करके भाजपा ने बाकी राज्‍यों को भी एक सख्‍त संदेश दिया है। (File Photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पिछले छह सात वर्षों में भाजपा का सिर्फ आकार ही बड़ा नहीं हुआ बल्कि इसकी सोच और फैसले को अमल करने की अपार शक्ति भी बार बार दिखी है। उत्तराखंड में चुनाव से महज कुछ महीने पहले लगातार दो मुख्यमंत्री बदलने के बावजूद मिली सफलता ने भाजपा नेतृत्व की इस सोच को और भी स्पष्ट कर दिया है कि प्रदेशों में पार्टी के चेहरे को न सिर्फ बेदाग और क्षमता के बल पर सर्वमान्य होना चाहिए बल्कि जनता के बीच का होना चाहिए।

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कोई कोर-कसर मंजूर नहीं 

अगर इसमें कोई कमी दिखती है तो उसे हटाने में भावी चुनाव भी बाधक नहीं बन सकता है। त्रिपुरा में चुनाव में महज आठ नौ महीने पहले मुख्यमंत्री बिप्लव देव को बिना किसी टकराव हटाकर भाजपा ने फिर से साबित कर दिया है कि यहां पार्टी नेतृत्व सबल है। यही कारण है कि पिछले एक साल में पार्टी ने पांच मुख्यमंत्री बदले हैं।

कई सूबों में बदलाव की अटकलें 

त्रिपुरा में हुए बदलाव के बाद जाहिर तौर पर हिमाचल प्रदेश, जहां हाल के उपचुनावों में भाजपा को विफलता मिली है, कर्नाटक जहां अंदरूनी लड़ाई तेज है और मध्य प्रदेश जहां जहां लंबे समय से एक ही चेहरा है में भी बदलाव को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं।

लिए जाएंगे सख्‍त फैसले 

हालांकि फिलहाल पार्टी नेतृत्व इन राज्यों में किसी बदलाव को नकार रहा है लेकिन सूत्रों की मानी जाए तो रोजाना स्तर पर हर प्रदेश की रिपोर्ट पर चर्चा हो रही है। हाल ही में पार्टी ने उत्तर प्रदेश समेत चार राज्यों में सरकार दोहराई है और यह सिलसिला तोड़ना नहीं चाहती है। लिहाजा किसी भी फैसले में असमंजस नहीं होगा।

कहां चूके बिप्लब देब

गौरतलब है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा खुद लगातार हिमाचल के दौरे पर हैं और बूथ स्तर तक से उनके पास फीडबैक आ रहा है। त्रिपुरा में बिप्लव देव के खिलाफ असंतुष्ट नेताओं की तमाम शिकायतों के बावजूद भाजपा शीर्ष नेतृत्व उन्हें मौका देता रहा। लेकिन चार सालों के बाद भी बिप्लब देब न सिर्फ असंतुष्ट नेताओं को साधने में विफल रहे, बल्कि उनके खिलाफ विरोध के स्वर और मुखर भी हो गए थे।

आपसी कलह मंजूर नहीं

पार्टी के भीतर आपसी कलह से सरकार का कामकाज भी प्रभावित हो रहा था। सीपीएम के लंबे शासन काल के बाद पहली बार मिली ऐतिहासिक जीत को भाजपा इतनी जल्दी गंवाना नहीं चाहती है। वैसे बिप्लव को यह स्पष्ट कर दिया गया है कि पद से हटने के बावजूद उन्हें चुनाव में जी जान से जुटना होगा और जनता तक जाकर यह देखना भी होगा कि जो काम चार साल किए वह कहां तक पहुंचा है। इसकी रिपोर्ट भी संगठन और नए मुख्यमंत्री को देनी होगी। 


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