Move to Jagran APP

'अर्थशास्त्र के लिए नहीं है नोबेल पुरस्कार' BJP प्रवक्ता ने उड़ाया अभिजीत बनर्जी का मजाक

अर्थशास्‍त्र का नोबेल पुरस्‍कार पाने वाले बनर्जी ने मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी का विरोध किया था।

By Nitin AroraEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:06 AM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 11:19 AM (IST)
'अर्थशास्त्र के लिए नहीं है नोबेल पुरस्कार' BJP प्रवक्ता ने उड़ाया अभिजीत बनर्जी का मजाक
'अर्थशास्त्र के लिए नहीं है नोबेल पुरस्कार' BJP प्रवक्ता ने उड़ाया अभिजीत बनर्जी का मजाक

चेन्नई, एजेंसी। भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी (Abhijit Banerjee) को सोमवार को उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और एक अन्य अर्थशास्त्री माइकल क्रेमर के साथ संयुक्त रूप से अर्थशास्त्र के लिए 2019 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। अभिजीत वर्तमान में अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल के अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। 58 वर्षीय अभिजीत और एस्थर को वैश्विक स्तर पर गरीबी को कम करने को लेकर किए गए कार्यो के लिए ये सम्मान दिया गया है।

loksabha election banner

अभिजीत का जन्म 21 फरवरी 1961 में महाराष्ट्र के धुले में हुआ। पिता दीपक बनर्जी और मां निर्मला बनर्जी दोनों ही कोलकाता के जाने माने प्रोफेसर थे। पिता दीपक बनर्जी प्रेसीडेंसी कॉलेज में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर थे और मां कोलकाता के सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज में प्रोफेसर थीं। हालांकि, कुल बात यह है कि बैनर्जी का खुल कर पुरस्कार जीतने पर स्वागत नहीं किया गया, क्योंकि वह अक्सर वर्तमान सरकार की आर्थिक नीतियों के आलोचक रहे हैं।

तमिलनाडु के भाजपा प्रवक्ता ने अभिजीत को नोबेल पुरस्कार मिलने पर उनका मजाक उड़ाया है। भाजपा तमिलनाडु के प्रवक्ता एसजी सूर्या ने अभिजीत बनर्जी को यह कहते हुए बधाई दी कि अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार तकनीकी रूप से नोबेल नहीं होता। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'अर्थशास्त्र श्रेणी के लिए कोई नोबेल पुरस्कार नहीं है! अभिजीत बनर्जी ने जो जीता है वो इकनॉमिक्स साइंस के लिए अल्फ्रेड नोबेल की याद में दिया जाने वाला पुरस्कार है और उसके लिए उन्हें बधाई! इसके साथ ही उन्होंने ट्वीट में एक स्क्रीनशॉट भी शेयर किया।

नोबेल प्राइज की ऑफिशल वेबसाइट पर दी गई डिटेल के स्क्रीनशॉट में था कि इकनॉमिक्स साइंस के लिए दिया जाना वाला पुरस्कार नोबेल पुरस्कार नहीं है।

बता दें कि अर्थशास्‍त्र का नोबेल पुरस्‍कार पाने वाले बनर्जी ने मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी का विरोध किया था। उन्‍होंने VoxDev.org पर प्रकाशित अपने एक लेख में कहा था कि 500 और 1000 रुपये के नोटों की कुल हिस्‍सेदारी देश की नकदी में लगभग 86 फीसद थी। 500 और 2000 के नए नोट को जारी करने की प्रक्रिया कई कारणों से प्रभावित हुई। उन्‍होंने उदाहरण देते हुए बताया कि तत्‍कालीन ATM मशीनों में 2000 के नोट फिट नहीं आ रहे थे। 23 दिसंबर 2016 यानी नोटबंदी के डेढ़ महीने बाद भी सर्कुलेशन के लिए जरूरी कुल राशि में भारी कमी थी। बनर्जी ने कहा था कि नोटबंदी को लेकर शुरुआत में जिस नुकसान का अनुमान किया जा रहा था, वास्‍तव में यह उससे कहीं ज्यादा होगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.