विदेश की बजाय अपने बुजुर्गो से सीखें राहुल: भाजपा
राहुल अक्सर आरएसएस पर हमलावर होते हैं और वहां महिलाओं के लिए जगह नहीं होने का जिक्र भी करते हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अपने विदेश दौरे में मोदी सरकार व आरएसएस-भाजपा पर हमलावर राहुल गांधी के बयानों की भर्त्सना करते हुए भाजपा ने उन्हें नासमझ, नादान और अक्षम नेता करार दिया। पार्टी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि राहुल जिस तरह विदेश जाकर भारत को बदनाम कर रहे हैं उससे स्पष्ट हो गया कि देश तो क्या एक राजनीतिक दल या नेता विपक्ष की भूमिका निभाने के भी काबिल नहीं हैं। वह देश को भी उस मुकाम पर ले जाना चाहते हैं जहां कांग्रेस को खड़ा कर दिया है।
राहुल जर्मनी और ब्रिटेन के दौरे पर हैं। वहां अलग अलग सत्र में उन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था, महिलाओं के प्रति सरकार के रुख पर सवाल उठाया था और भाजपा को विभाजनकारी बताया था। दिल्ली में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने तथ्यों के साथ पलटवार ही नहीं किया बल्कि सख्त लहजे में उनकी समझ पर सवाल उठाया। राहुल ने गुरु नानकदेव का नाम लिया था। सुधांशु का पहला वार वहीं हुआ। उन्होंने याद दिलाया कि हुकूमत के साये में नादिर शाह के बाद कांग्रेस केकाल में ही 1984 में कत्लेआम हुआ था। और राहुल गुरु नानक देव की सीख बता रहे हैं।
विदेश जाकर भारत की अर्थव्यवस्था पर बोल रहे हैं। लेकिन उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है कि आइएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले वर्ष हमारी ग्रोथ चीन से ज्यादा होगी। पिछले महीने भारत फ्रांस को पीछे छोड़कर आकार की दृष्टि से छठी अर्थव्यवस्था बन गया। 2030 से पहले ब्रिटेन को छोड़कर पांचवी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। 14 साल बाद मूडीज से रेटिंग सुधारी है। लेकिन राहुल को यह सब नहीं दिखता है। वह या तो नासमझ है या फिर समझना ही नहीं चाहते हैं।
राहुल ने बेरोजगारी को भटके हुए युवाओं व आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश की थी। सुधांशु त्रिवेदी ने ओसामा का हवाला देते हुए पूछा कि वह बेरोजगार था। या फिर ट्रेड टावर से विमान टकराने वाला बेरोजगार था। सुधांशु ने कहाकि यह विचार की लड़ाई है। राहुल इसे भी नहीं समझ पा रहे हैं। राहुल अक्सर आरएसएस पर हमलावर होते हैं और वहां महिलाओं के लिए जगह नहीं होने का जिक्र भी करते हैं। सुधांशु ने चुटकी लेते हुए कहा कि युवा कांग्रेस में कोई यह सवाल उठाए कि वहां बुजुर्ग नहीं है तो क्या कहा जाएगा। संघ में स्वयं सेविका समिति के लिए अलग मंच है। सच्चाई यह है कि राहुल अज्ञानमता के भंवर में है। उन्हें कुछ भी सही नहीं दिखता है। उन्होंने सलाह दी कि राहुल विदेश जाने की बजाय प्रणव मुखर्जी जैसे बुजुर्गो से सीखें।