भाजपा का राहुल गांधी से तीखा सवाल, लॉकडाउन कारगर नहीं तो कांग्रेस शासित राज्यों ने पहले क्यों बढ़ाया
कांग्रेस और उसके द्वारा समर्थित सरकारों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा क्यों की?
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय जनता पार्टी ने राहुल गांधी के बयान पर तंज कसते हुए कांग्रेस से सवाल किया कि कोरोना की रोकथाम में अगर लॉकडाउन सही समाधान नहीं है तब कांग्रेस शासित राज्यों ने केंद्र की घोषणा से पहले ही इसकी अवधि क्यों बढ़ाई।
भाजपा के संगठन मंत्री बी एल संतोष और विनय सहस्रबुद्धे ने जहां सोशल मीडिया के जरिये सवाल उठाया वहीं भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल के बयान की क्लिप ट्वीट कर कहा कि इस बयान पर सिर्फ हंसकर लोटपोट हुआ जा सकता है।
बी एल संतोष ने ट्वीट किया कि राहुल गांधी के अनुसार लॉकडाउन समाधान नहीं है। तब कांग्रेस और उसके द्वारा समर्थित सरकारों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा क्यों की?
उन्होंने कहा, आइसीएमआर ने राहुल के देश में कम जांच होने के दावे को झुठला दिया है। आंकड़ों के अनुसार भारत में हर 24 में एक व्यक्ति की जांच हो रही है। यह आंकड़ा इटली, अमेरिका और जापान के मुकाबले अधिक है।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी वहां गठबंधन सरकार का हिस्सा है और राज्य ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा से पहले ही 30 अप्रैल तक बंदी को बढ़ा दिया था। पंजाब में भी कांग्रेस सत्ता में है और वहां भी प्रधानमंत्री मोदी के लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाने की घोषणा से पहले ही बंदी की अवधि को बढ़ा दिया गया था।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि अधिकांश मुख्यमंत्रियों ने महामारी से मुकाबला करने के लिए लॉकडाउन का समर्थन किया था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को कहा कि लॉकडाउन से कोरोना वायरस संकट का स्थायी समाधान नहीं होगा। बल्कि बड़े पैमाने पर और रणनीतिक रूप से जांच से ही इस वायरस को हराया जा सकता है।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से यह आग्रह भी किया कि राज्यों और जिलों को पर्याप्त संसाधन मुहैया कराए जाएं। राहुल ने कहा लॉकडाउन कोई समाधान नहीं है। यह वायरस को पराजित नहीं करता है। यह सिर्फ कुछ समय के लिए रोकता है। जब हम लॉकडाउन से बाहर आएंगे तो वायरस फिर से जोर पकड़ सकता है। इसलिए इसे पराजित करने का सबसे बड़ा हथियार जांच है।
भाजपा ने अपने ट्विटर हैंडल पर आंकड़ा जारी करते हुए जोर दिया कि भारत गंभीर रूप से प्रभावित देशों की तुलना में कोविड-19 को काफी हद तक रोक सका और प्रति 10 लाख आबादी पर केवल 9 मामले सामने आए और प्रति 10 लाख आबादी पर 0.3 मौत हुई है।
इसमें कहा गया है कि कोरोना वायरस से संक्रमित 12 हजार मामलों को देखें तब भारत में इसके फैलने की रफ्तार गंभीर रूप से प्रभावित देशों की तुलना में काफी कम है ।