मध्य प्रदेश में नेता पुत्रों की लांचिंग से BJP ने खींचे हाथ, वंशवाद नहीं बढ़ाएगी
भाजयुमो ने बनाई थी नेता पुत्रों के नेतृत्व में आंदोलन समिति। संगठन ने कहा- नेता पुत्र बतौर कार्यकर्ता ही हो सकते हैं शामिल।
भोपाल, नईदुनिया। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) द्वारा नेता पुत्रों की लांचिंग की तैयारी पर पानी फिर गया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि न तो वह वंशवाद को बढ़ाएगी और न ही नेता पुत्रों की लांचिंग की कोई नीति तैयार की है।
दरअसल, भाजयुमो ने घंटानाद आंदोलन के जरिये नेता पुत्रों की एक आंदोलन समिति बना दी थी, जिससे यह संदेश जा रहा था कि भाजयुमो द्वारा नेता पुत्रों का लांचिंग पैड तैयार किया गया है। कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया तो संगठन ने कहा कि नेता पुत्र कार्यकर्ता के तौर पर ही आंदोलन में शामिल हो सकते हैं।
भाजयुमो ने पार्टी के आधा दर्जन दिग्गज नेताओं के बेटों के नेतृत्व में आंदोलन समिति बनाकर प्रदेशभर में अलग-अलग स्थानों पर आंदोलन का नेतृत्व करने की बागडोर भी सौंप दी थी।
इनमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा के बेटे तुष्मुल झा, पूर्व मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह तोमर, पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बेटे सुकर्ण मिश्रा, दीपक जोशी के बेटे जयवर्द्धन जोशी, अर्चना चिटनीस के बेटे समर्थ चिटनीस, नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्द्धन सिंह चौहान और पूर्व विधायक ताराचंद बावरिया के बेटे सौरभ बावरिया को शामिल किया गया था। भाजयुमो की इस आंदोलन समिति में 31 सदस्य थे, जिनमें से एक दर्जन नेता पुत्र शामिल थे।
कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
सूत्रों का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने मामले में संगठन के नेताओं के सामने विरोध जताया। कार्यकर्ताओं ने कहा कि जब पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व ही वंशवाद का विरोध कर रहा है तो फिर स्थानीय नेतृत्व किस आधार पर वंशवाद को प्रश्रय दे रहा है। कुछ कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेताओं से पूछा कि क्या वे सिर्फ दरी-फट्टा उठाने के लिए और नेता पुत्र मलाई खाने के लिए हैं। कई स्तर पर विरोध के बाद संगठन ने कहा कि पार्टी की ऐसी कोई मंशा नहीं कि नेता पुत्रों की लांचिंग की जाए।
मप्र भाजपा प्रवक्ता, रजनीश अग्रवाल ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। पार्टी में कार्यकर्ता के नाते सभी को आगे बढ़ने के अवसर मिलते हैं। वंशवाद के आधार पर किसी भी प्रकार का विशेषाधिकार पार्टी ने किसी को नहीं दिया है। भाजपा का कोई मोर्चा-प्रकोष्ठ नेता पुत्रों का लांच पैड नहीं बन रहा है, न ही ये भाजपा की रीति-नीति है।
10 महीने बाद आज से भाजपा का 'घंटानाद' आंदोलन
विधानसभा चुनाव के 10 महीने बाद बतौर विपक्ष भाजपा पहली बार 11 सितंबर से 'घंटानाद' आंदोलन के जरिये कमलनाथ सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी। पार्टी का दावा है कि पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ने से अराजकता की स्थिति है। किसान परेशान हैं। कर्जमाफी के नाम पर किसानों से छलावा किया गया।
अब उन पर 14 फीसद जुर्माने के साथ कर्ज के भुगतान का दबाव बनाया जा रहा है। तबादलों ने गवर्नेस को चौपट कर दिया है। जन समस्याओं के निपटारे पर किसी का ध्यान नहीं है। इन सारे मुद्दों को लेकर भाजपा बुधवार को सड़कों पर उतरेगी।