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Maharashtra: वेट एंड वॉच की नीति पर भाजपा, 50-50 फॉर्मूले के कारण बैक फुट पर शिवसेना

भाजपा से अलग राह लेकर शिवसेना बैक फुट पर है। वह सरकार बनाने का मौका चूक गई है। अब जबकि एनसीपी को सरकार बनाने का न्‍यौता मिला है सवाल यह कि क्‍या वह उसे समर्थन देगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 01:08 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 02:53 PM (IST)
Maharashtra: वेट एंड वॉच की नीति पर भाजपा, 50-50 फॉर्मूले के कारण बैक फुट पर शिवसेना

मुंबई, एजेंसियां। महाराष्‍ट्र में राज्‍यपाल भगत सिंह कोश्‍यारी द्वारा शिवसेना (Shiv Sena) के बाद एनसीपी (NCP) को सरकार बनाने का न्‍यौता दिए जाने के बीच जारी सियासी उठापटक के मद्देनजर भाजपा (Bharatiya Janata Party, BJP) ने 'वेट एंड वॉच' की नीति पर चलने का फैसला किया है। भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार Sudhir Mungantiwar ने बताया कि सोमवार को बीजेपी कोर ग्रुप की बैठक में राज्‍य के सियासी हालात पर मंथन किया गया। इसमें वेट एंड वॉच की नीति पर चलने का फैसला लिया गया।

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शिवसेना के लिए लंबा हुआ इंतजार 

कल शिवसेना के युवा नेता आदित्‍य ठाकरे एवं विधायक दल के नेता एकनाथ शिंदे पार्टी के कई वरिष्‍ठ नेताओं के साथ 6.45 बजे ही राजभवन पहुंच गए थे। उनको उम्मीद थी कि 7.30 बजे तक राजभवन के फैक्स या मेल पर कांग्रेस और राकांपा के समर्थन पत्र पहुंच जाएंगे। लेकिन 45 मिनट तक राजभवन में इंतजार करने के बाद जब उन्‍हें इन दोनों दलों का समर्थन पत्र नहीं पहुंचा तो उन्‍हें निराश होकर राजभवन से लौटना पड़ा। हालांकि, शिवसेना नेताओं ने राज्‍यपाल से अतिरिक्‍त समय मांगा था लेकिन उन्‍हें समय नहीं मिला।

बैकफुट पर शिवसेना 

जानकारों की मानें तो यदि शिवसेना भाजपा से अलग होकर सरकार बनाती है तो उस पर गठबंधन तोड़ने का ठप्पा लग जाएगा। इससे भाजपा को शिवसेना के खिलाफ मोर्चा खोलने का अवसर मिल जाएगा। यदि कांग्रेस और एनसीपी के समर्थन से सरकार बनती भी है तो यह गठबंधन बेमेल होगा जिस पर संकट के बादल मंडराते रहेंगे। दूसरी ओर शिवसेना जिस राकांपा का हवाला देकर सरकार बनाने का दम भरती थी उसका समर्थन पत्र नहीं आने से बैकफुट पर आ गई है। अब जबकि एनसीपी को सरकार बनाने का मौका मिला है तो देखना यह है कि क्‍या शिवसेना उसे समर्थन देगी। 

फॉर्मूले के फेर में फंसा पेंच 

ऐसी अटकलें भी सूत्रों के हवाले से परवान चढ़ रही हैं कि शरद पवार चाहते हैं कि राज्‍य में ढाई ढाई साल तक शिवसेना और एनसीपी का मुख्‍यमंत्री हो। शायद इसी वजह से सरकार बनाने पर बात बन नहीं पा रही है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्टों के अलावा इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी खुलकर सामने नहीं आ रहा है। यदि वास्‍तव में अंदरखाने ऐसी बातें चल रही हैं तो जाहिर है कि शिवसेना ने जिस 50-50 फॉर्मूले के चलते भाजपा से वर्षों पुराना नाता तोड़ा है अब वह उसी के फेर में फंसती नजर आ रही है। 


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