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'ऑपरेशन कमल' के बाद अब 'ऑपरेशन बंगाल' की तैयारी, भाजपा ने कसी कमर

कर्नाटक में ऑपरेशन कमल की सफलता के बाद भाजपा अब ऑपरेशन बंगाल की तैयारियों में पूरी तरह से जुट गई है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 25 Jul 2019 11:40 AM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 11:43 AM (IST)
'ऑपरेशन कमल' के बाद अब 'ऑपरेशन बंगाल' की तैयारी, भाजपा ने कसी कमर

कोलकाता, आइएएनएस। कर्नाटक में 'ऑपरेशन कमल' (operation Lotus) की सफलता ने भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) को एक नई ऊर्जा दी है। लोकसभा चुनावों में बंगाल में भाजपा ने कमाल कर दिखाया था। भाजपा ने यहां 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी और बंगाल में ममता बनर्जी की टीएमसी को हिलाकर रख दिया था। लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद अब भाजपा की नज़र  दो साल में होने वाले अगले विधानसभा चुनावों पर मजबूती से टिकी हुई है। भारतीय जनता पार्टी अब अपने सभी 294 पश्चिम बंगाल निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए अपनी चल रही सदस्यता अभियान का लाभ उठा रही है।

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'बूथों पर ध्यान केंद्रित करेगी भाजपा'
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल ने कहा, 'हम बूथों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमारा सदस्यता अभियान जारी है। हम इसका इस्तेमाल बूथ स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के लिए कर रहे हैं। हमारा संगठन तभी मजबूत होगा, जब हमारे पास बूथ स्तर पर मजबूत उपस्थिति होगी।'

लोकसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन
भाजपा 2019 के लोकसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन करके आई है। भाजपा ने बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 सीटों पर जीत दर्ज की थी, यहां ये बताना जरूरी है कि भाजपा को 2014 में यहां केवल दो सीटें मिली थीं। हालांकि, पार्टी के नेताओं को निजी बातचीत में यह स्वीकार करने में थोड़ी हिचक थी कि भाजपा को संगठनात्मक चमत्कार की तुलना में तृणमूल के 'कुशासन' के खिलाफ नकारात्मक वोटिंग के कारण चुनावों में सफलता मिली है।वास्तव में, हुगली जैसी कुछ सीटों पर जहां पार्टी ने जीत हासिल की, यहां के चुनाव नतीजों ने राज्य के शीर्ष नेताओं को भी आश्चर्य में डाल दियास क्योंकि भाजपा के पास इन इलाकों में शायद ही एक मजबूत संगठन था। 

'डोर-टू-डोर' अभियान पर जोर
पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों की तैयारी के मद्देनजर भाजपा कम से कम 40 हजार विस्तारकों (पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं) की भर्ती करने की कोशिश कर रही है जो अपने इलाके से अलग जाकर बूथ स्तर तक के सदस्यों को भर्ती करने के लिए डोर-टू-डोर अभियान करेंगे। बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने बताया कि, 'बूथ टू बूथ ड्राइव 23 जुलाई से शुरू हो गया है। पिछली बार हमारे पास 42 लाख सदस्य थे। इस बार हमारा पश्चिम बंगाल में एक करोड़ से अधिक की सदस्य संख्या पाने का लक्ष्य है। यह अब हमारा एक सूत्रीय कार्यक्रम है। इसको लेकर गहन प्रशिक्षण चल रहा है और ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी पार्टी काम में लगी हुई है।'

एक बार सदस्यता अभियान पूरा हो जाने के बाद पार्टी अपना संगठनात्मक चुनाव शुरू करेगी और दिसंबर तक की प्रक्रिया पूरी कर लेगी।लोकसभा चुनावों के बाद से मुख्य रूप से तृणमूल कांग्रेस(TMC) और कांग्रेस और सीपीआई-एम से कुछ नेताओं और जनप्रतिनिधियों के एक समूह ने भाजपा से किनारा कर लिया है।लेकिन दूसरी तरफ, उनमें से कुछ नेताओं ने पहले ही तृणमूल में वापसी की यात्रा कर ली है।इसके अलावा, तृणमूल विधायक मोनिरुल इस्लाम जैसे विवादित नेताओं को शामिल करने को लेकर भाजपा के पुराने नेताओं में गहरी नाराजगी है। पार्टी को किसी और शर्मिंदगी से बचाने के लिए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने फैसला किया है कि बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष अब हर प्रस्ताव पर अपनी तह में जाने का प्रयास करेंगे। घोष ने कहा है कि बहुत से आवेदन प्राप्त हुए हैं।

टीएमसी की राजनीति पर प्रहार
दिलीप घोष के मुताबिक, 'अब भी, बहुत से लोग शामिल होना चाहते हैं। मैंने उनसे कहा है कि वे अपने फैसले के बारे में निश्चित रहें और हमें बताएं कि वे कब शामिल होने के लिए तैयार हैं। हम उन्हें यह स्पष्ट कर रहे हैं कि उन्हें बहुत डराया जाएगा, प्रशासन की ओर से धमकियां दी जाएंगी अगर वे हमारे साथ जुड़ना चाहते हैं।' तृणमूल पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि राज्य की बर्बाद पार्टी में कठिन परिस्थितियों में लड़ने के लिए 'बहुत मोटापा' हो गया था।

घोष जो मिदनापुर से लोकसभा सदस्य हैं, कहते हैं, 'हमारे लाखों कार्यकर्ता ऐसी विपरीत परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। उन्हें पीटा जा रहा है और कैद किया गया है। भाजपा में शामिल होने के बाद दो महीने से भी कम समय में तृणमूल में वापसी करने वाले नगरपालिका पार्षदों की पर्याप्त संख्या के कारण, घोष ने अपनी पार्टी के नेताओं की घोर आलोचना की है, जो अन्य दलों के अभियंताओं को सख्ती से हटाने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसी राजनीति लाभांश का उत्पादन नहीं करती है। हमने इनमें से किसी भी रक्षक के बिना इतनी संसदीय सीटें जीती हैं। उसके बाद हमारी पार्टी के कुछ लोगों को लगा कि इन लोगों को लिया जाना चाहिए। लेकिन विभिन्न समस्याएं हैं। 

हर कोई हमारी जैसी विचारधारा आधारित पार्टी और हमारे सख्त अनुशासनात्मक मानकों को मैच नहीं कर सकता है।उन्होंने आगे कहा, 'मुझे नहीं पता कि ये लोग क्यों शामिल हुए हैं और हमारी पार्टी के लोगों ने इन लोगों को हमारे साथ क्यों मिलाया है। मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता।'

टीएमसी पर धमकाने के आरोप
दिलीप घोष ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस, पुलिस का उन लोगों को परेशान करने और धमकाने के लिए इस्तेमाल कर रही है जो उनकी पार्टी में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि, 'कुछ लोग वापस जा रहे हैं क्योंकि उन पर दबाव है। पुलिस उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है, उनके घरों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं।  हर कोई इस तरह के दबाव का सामना नहीं कर सकता।'


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