कर्नाटक में फिर से राजनीतिक संकट: बागी विधायकों ने मुख्यमंत्री को घेरा, येदियुरप्पा ने आपात बैठक बुलाने की खबरों को किया खारिज किया
मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ 20 बागी विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में किसी भी प्रकार की आपातकाल बैठक बुलाने की खबरों को खारिज किया है।
बेंगलुरु, पीटीआइ। कोरोना संकट के बीच एक बार फिर से कर्नाटक में राजनीतिक संकट होता नजर आ रहा है। दरअसल, राज्य में मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के खिलाफ 20 बागी विधायकों ने मोर्चा खोल दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री ने इस संदर्भ में किसी भी प्रकार की आपातकाल बैठक बुलाने की खबरों को खारिज कर दिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने देखा कि कुछ न्यूज चैनलों में मेरे द्वारा आपातकाल बैठक बुलाने की खबर चलाई जा रही है, जो कि सच्चाई से कोसो दूर है। मैंने इस प्रकार कि कोई भी बैठक नहीं बुलाई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए साफ किया है कि मैं साफ करना चाहता हूं कि मैंने इस तरह की कोई बैठक नहीं की। इसके साथ ही उन्होंने ये जरुर साफ कर दिया है कि उनके निवास पर रमेश काती को खाने पर बुलाया था। हालाांकि इस बैठक का राज्यसभा चुनाव से कोई कनेक्शन है नहीं था।
उमेश कत्ती को राज्यसभा सदस्य बनाने पर सियासी बवाल
जानकारी के मुताबिक, येदियुरप्पा से नाराज चल रहे विधायकों की इच्छा है कि उमेश कत्ती को कैबिनेट का मंत्री बनाया जाए। बता दें कि कत्ती 8 बार विधायक रह चुके हैं। इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट से मुताबिक, सभी विधायकों की मांग है कि उमेश कत्ती के भाई रमेश को राज्यसभा भेजा जाए, लेकिन रमेश कत्ती के राज्यसभा चुनाव को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। वहीं उमेश कत्ती के मुताबिक, मुख्यमंत्री ने उनके भाई को राज्यसभा में भेजने को लेकर आश्वासन दिया था और उसी संदर्भ में हाल में मेरे भाई उनसे उन्हें उनका वादा याद कराने के लिए मिले थे।
दरअसल, राज्य में यह सभी बागी विधायक उमेश कत्ती के समर्थक हैं। उमेश बेलगाम जिले के ताकतवर लिंगायत नेता हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुवार को उन्होंने 20 विधायकों को खाने पर बुलाया था, लेकिन पार्टी में इस बारे में किस भी नेता ने बयान देने से इनकार किया है। बताया जा रहा है कि यह सभी विधायक मुख्यमंत्री के खिलाफ गोलबंद हो रहे हैं। बागी विधायकों का आरोप है कि मुख्यमंत्री उनसे किसी भी विषय पर बातचीत करने को तैयार नहीं है। यही नहीं मुख्यमंत्री पर यह भी आरोप लगाया गया है कि कोरोना संकट में भी उन्होंने राज्य में कोई विशेष ध्यान नहीं दिया है।