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Rajya Sabha Oath Ceremony: सिंधिया-दिग्विजय का हुआ सामना, मास्क पहने ही किया अभिवादन; नहीं की कोई बात

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह व गुलाम नबी आजाद से मास्क पहने ही भाजपा नेता ज्योतिरादित्य ने शपथ से पहले राज्यसभा में अभिवादन किया लेकिन आगे तीनों में किसी तरह की बातचीत नहीं हुई।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 03:29 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 03:29 PM (IST)
Rajya Sabha Oath Ceremony: सिंधिया-दिग्विजय का हुआ सामना, मास्क पहने ही किया अभिवादन; नहीं की कोई बात

नई दिल्ली, एएनआइ। राज्यसभा में बुधवार को शपथ ग्रहण के दौरान कांग्रेस से भारतीय जनता पार्टी में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और दिग्विजय सिंह का अभिवादन करते देखा गया। सिंधिया पर तंज कसने का एक भी मौका न गंवाने वाले दिग्विजय सिंह ने भी अभिवादन किया। वहीं पास खड़े गुलाम नबी आजाद भी हाथ जोड़ नमस्कार करते दिखे। हालांकि तीनों में इस दौरान किसी तरह की बातचीत नहीं हुई। मध्य प्रदेश के दोनों नेता  'महाराजा' कहे जाने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया और  'राजा' यानी दिग्विजय सिंह के अलावा वहां मौजूद गुलाम नबी आजाद सफेद मास्क में थे। 

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सिंधिया की पहली और दिग्विजय की दूसरी बार हो रही एंट्री

सिंधिया पहली बार राज्यसभा में एंट्री कर रहे हैं लेकिन दिग्विजय सिंह का यह दूसरा कार्यकाल है। दोनों नेता संसद में अलग-अलग पार्टियों का प्रतिनिधित्व करेंगे। मध्यप्रदेश में राज्यसभा की तीन सीट से भाजपा के दो और कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली। भाजपा से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी वहीं कांग्रेस से के दिग्विजय सिंह राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए। सिंधिया को 56 विधायकों का समर्थन मिला वहीं दिग्विजय सिंह को उनसे एक अधिक विधायकों के 57 वोट मिले। ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ कहे जाने वाले अशोकनगर जिला  का हाल में ही पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने दौरा किया था। जिले के कलेक्टर पद के खाली होने पर दिग्विजय सिंह ने निशाना साधते हुए कहा कि महाराज को गुलाम की तरह काम करने वाला कलेक्टर नहीं मिला है इसलिए पद अभी तक खाली है।

छत्तीस का है आंकड़ा

उल्लेखनीय है कि जब से सिंधिया ने पार्टी बदली है तब से दिग्विजय सिंह के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है। इसी साल मार्च में सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा से हाथ मिला लिया। उन्होंने आरोप लगाया था कि पार्टी में उन्हें कम महत्व दिया जा रहा है। उनके जाने से कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई और शिवराज सिंह दोबारा मुख्यमंत्री चुने गए।  उस वक्त  दिग्विजय सिंह ने खुले तौर पर कमलनाथ सरकार के साथ समर्थन दिखाया था। इसके बाद राज्य में सरकार बनाने के लिए भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा का टिकट दिया और उनके समर्थकों को नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के मंत्रीमंडल में जगह दी। 


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