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घोषणापत्र के प्रमुख मामलों पर जीत हासिल कर रही BJP, संदेश साफ 'मोदी अपने वादों पर खरे उतरेंगे'

अयोध्या मसले पर रोजाना सुनवाई शुरू हो चुकी है और कश्मीर अखंड भारत का हिस्सा बन चुका है। हालांकि इस बड़ी जीत के साथ ही एक राजनीतिक संदेश भी साफ गया है कि मोदी अपने वादों पर खरे उतरे

By Nitin AroraEdited By: Published: Mon, 05 Aug 2019 09:49 PM (IST)Updated: Mon, 05 Aug 2019 10:57 PM (IST)
घोषणापत्र के प्रमुख मामलों पर जीत हासिल कर रही BJP, संदेश साफ 'मोदी अपने वादों पर खरे उतरेंगे'

नई दिल्ली, आशुतोष झा। राजनीतिक विस्तार के लिहाज से भाजपा अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री अमित शाह भले ही कहते रहे हों कि पार्टी का स्वर्णिम काल अभी नहीं आया है। लेकिन विचारधारा के स्तर पर भाजपा ने स्वर्णिम काल की सीमा को छू लिया है। अखंड भारत की वकालत करते रहे जनसंघ से लेकर भाजपा तक के एजेंडे में जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ही सबसे बड़ी बाधा था।

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जनसंघ संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की रहस्यमयी मौत के पीछे भी कश्मीर का यही विशेष दर्जा कारण था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में साहसिक कदम के साथ इसे पूरा कर दिया है। मोदी सरकार 2 के पहले दो तीन महीने में ही तीन तलाक विधेयक कानून बन चुका है।

अयोध्या मसले पर रोजाना सुनवाई शुरू हो चुकी है और कश्मीर अखंड भारत का हिस्सा बन चुका है। हालांकि इस बड़ी जीत के साथ ही एक राजनीतिक संदेश भी साफ गया है कि मोदी अपने वादों पर खरे उतरेंगे। मोदी के साथ साथ भाजपा अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह का कौशल भी स्थापित हो गया है।

भाजपा के तीन वैचारिक मुद्दे ऐसे थे जिसे लेकर सहयोगी दलों में भी दरार दिखती रही थी। इन्हीं मुद्दों के कारण भाजपा को अस्पृश्य भी माना जाता था और ये तीन मुद्दे - अयोध्या, अनुच्छेद 370 और समान नागरिक संहिता, हमेशा से भाजपा के घोषणापत्र का भी हिस्सा रहे हैं। तीन तलाक के जरिए समान नागरिक संहिता का एक हिस्सा भाजपा ने दुरुस्त कर दिया है। अयोध्या राम मंदिर पर लंबी लड़ाई और आंदोलन चलता रहा है। लेकिन अब मंगलवार से कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है और माना जा रहा है कि बहुत जल्द कोई फैसला आएगा।

ऐसे में जम्मू कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 पर प्रहार कर अखंड भारत की सोच को तेज करने का प्रयास सबसे ज्यादा चौंकाने वाला था। दरअसल इसमें हाथ जलने का सबसे ज्यादा खतरा था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने बड़ी दूरदर्शिता और ठोस प्रयास के साथ इसे भी अमलीजामा पहना दिया है। बस लोकसभा से इसे पारित होने की देर है और उसमें संदेह नहीं है।

इस बड़े फैसले ने राजनीतिक विस्तार की भी संभावना बढ़ा दी है। यह जाहिर कर दिया गया है कि घोषणापत्र में किए गए वादे अधूरे नहीं रहेंगे। इस पूरे क्रम में शाह केवल चुनावी रणनीतिकार ही नहीं, कुशल प्रशासक के रूप में स्थापित हो गए हैं। उनके अध्यक्षीय काल में ही भाजपा ने असम, त्रिपुरा समेत उत्तर पूर्व के उन राज्यों में भी झंडा गाड़ा था जहां कभी भाजपा का जड़ें भी नहीं रही थीं।

पहले वाम और फिर तृणमूल के गढ़ बने पश्चिम बंगाल में भी भाजपा ने अभूतपूर्व छलांग लगाई तो केरल में भी जीत हासिल किया। गृहमंत्री बनने के साथ ही उन्होंने जिस तरह कश्मीर के अलगाववादियों पर नकेल लगाई और फिर तर्कपूर्ण व कानून सम्मत तरीके से जम्मू-कश्मीर का हल निकालकर राज्यसभा में इसे पारित कराया उसने सबको चौंका दिया है।

ध्यान रहे कि 17वीं लोकसभा में भाजपा के कई बड़े नेता सदन से बाहर हैं। लेकिन शाह ने अपनी मौजूदगी से वह कमी कभी खलने नहीं दी। बेझिझक तर्को के साथ वह विपक्ष का जवाब देने से कभी चूके नहीं। तीन तलाक जैसे विधेयक के पारित होते वक्त शाह की मौजूदगी सत्ताधारी दल के लिए बड़ा बल था। सोमवार को जब राज्यसभा में बड़ी बाधा दूर हुई तो प्रधानमंत्री ने शाह की पीठ थपथपा कर यह जता भी दिया कि उन्हें अपने पुराने सेनापति पर भरोसा है।

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