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भाजपा ने पार्टी के कद्दावर नेता आडवाणी और जोशी को लोकसभा चुनाव लड़ने की दी हरी झंडी

लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित भाजपा के कद्दावर नेता 2019 के लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 07:22 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 07:22 PM (IST)
भाजपा ने पार्टी के कद्दावर नेता आडवाणी और जोशी को लोकसभा चुनाव लड़ने की दी हरी झंडी
भाजपा ने पार्टी के कद्दावर नेता आडवाणी और जोशी को लोकसभा चुनाव लड़ने की दी हरी झंडी

नई दिल्ली, आइएएनएस। लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित भाजपा के कद्दावर नेता 2019 के लोकसभा चुनाव में उतर सकते हैं। मंत्री और संगठन के पदों पर 75 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं पर लगे अनौपचारिक प्रतिबंध के बावजूद ये वरिष्ठ नेता प्रत्याशी बन सकते हैं। चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा के बाद पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होगी जिसमें इस संबंध में अंतिम फैसला लिया जाएगा। मार्च के पहले सप्ताह में चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा होने की संभावना है।

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बेटी प्रतिभा आडवाणी के लिए गांधीनगर सीट छोड़ने से इन्कार

भाजपा के सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने इन कद्दावर नेताओं को अनौपचारिक रूप से हरी झंडी दे दी है। सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व आडवाणी (91) को गांधीनगर लोकसभा सीट अपनी बेटी प्रतिभा के लिए छोड़ने के लिए राजी करना चाहता था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। आडवाणी का तर्क था कि उन्होंने अपनी पूरे राजनीतिक जीवन में वंशवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है इसलिए वह इस मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते हैं। इसकी जगह वह आने वाला चुनाव लड़ना चाहेंगे।

वर्तमान लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं आडवाणी

वर्तमान में आडवाणी लोकसभा के सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं। वह 1991 से गांधीनगर सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पिछले पांच चुनावों में वह बड़े अंतर से विजयी हुए हैं। यदि आडवाणी चुनाव लड़ते हैं तो जदयू के रामसुंदर दास के बाद चुनाव मैदान में उतरने वाले वह सबसे बुजुर्ग सांसद होंगे।

आडवाणी के अलावा पार्टी के अन्य कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी (84), सांता कुमार (85), कलराज मिश्र (77) और भगत सिंह कोश्यारी (77) भी लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी बन सकते हैं।

पार्टी अध्यक्ष रह चुके हैं जोशी

1924 में कानपुर से विजयी हुए जोशी 1991 से 1993 के बीच भाजपा अध्यक्ष रह चुके हैं और लोकसभा में उन्होंने इलाहाबाद और वाराणसी का भी प्रतिनिधित्व किया है। पिछले लोकसभा चुनाव में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उतारे जाने के कारण जोशी को कानपुर से उतारा गया।

हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री हैं शांता कुमार

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले शांता कुमार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भी हैं। सबसे पहले वह 1989 में चुने गए थे। इसके बाद वह लोकसभा में 1998, 1999 और 2014 में कांगड़ा से विजयी रहे।

उत्तर प्रदेश में प्रमुख ब्राह्मण चेहरा हैं कलराज

कलराज उत्तर प्रदेश में प्रमुख ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। वर्तमान लोकसभा में वह देवरिया का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। मोदी सरकार में उन्हें राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दिया गया था, लेकिन बाद में उम्र के आधार पर उन्हें मंत्रिमंडल से हटना पड़ा।


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