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ज्योतिरादित्य सिंधिया को तरजीह देकर राजस्थान में भी निशाना साधना चाहती है भाजपा

मध्‍य प्रदेश की राजनीति में इस समय ज्योतिरादित्य सिंधिया चर्चा में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि वह वसुंधरा और पायलट के बीच समन्वय बनावा सकते हैं।

By Tilak RajEdited By: Published: Sat, 11 Jul 2020 08:53 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jul 2020 08:53 PM (IST)
ज्योतिरादित्य सिंधिया को तरजीह देकर राजस्थान में भी निशाना साधना चाहती है भाजपा

भोपाल, आनन्द राय। मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से ही भाजपा में असंतोष बढ़ रहा है। विभागों का बंटवारा प्रतिदिन आजकल पर टल रहा है। इसकी वजह पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक मंत्रियों और भाजपा के वरिष्ठ मंत्रियों के बीच विभागों को लेकर खींचतान बताई जा रही है। इस बीच भाजपा के कई दिग्गज सिंधिया पर तीर चलाने से भी नहीं चूक रहे हैं, लेकिन एक बड़ा सच यह भी है कि सिंधिया भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पसंद बने हैं और हर फैसले में उनकी ही मर्जी चल रही है। सियासी गलियारों में तो बात यहां तक होने लगी है कि सिंधिया को तरजीह देकर भाजपा राजस्थान में भी निशाना साधना चाहती है।

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भाजपा में सिंधिया के बढ़ते प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने शिवराज सरकार में अपने 14 मंत्री बनवा लिए, जबकि पिछली कमल नाथ सरकार में उनके सिर्फ छह मंत्री थे। यह स्थिति तब है, जब सिंधिया समर्थक मंत्री अभी विधानसभा के सदस्य भी नहीं हैं। भाजपा ने यह भी एलान कर दिया है कि जो कांग्रेसी विधायक अपनी सदस्यता से इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए हैं, उन्हें ही भाजपा का टिकट मिलेगा। तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि सिंधिया समर्थक मंत्रियों ने मनमाफिक विभाग मांगे हैं। इसको लेकर मध्य प्रदेश में भाजपा का एक धड़ा नाराज चल रहा है और निशाने पर सिंधिया हैं। कभी विधायक अजय विश्नोई ट्वीट कर हमला बोल रहे हैं तो कभी पूर्व मंत्री जयभान सिंह पवैया के तीखे तेवर देखने को मिल रहे हैं।

सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व किसी भी हाल में सिंधिया का प्रभाव कम नहीं होने देना चाहता है। सिंधिया भाजपा से राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं और निकट भविष्य में उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में भी शामिल किए जाने के संकेत हैं। सिंधिया के रिश्तों से राजस्थान में समीकरण बनने की गुंजाइश दरअसल, सिंधिया के जरिये कांग्रेस में सेंध लगाकर कमल नाथ सरकार को अपदस्थ करने वाली भाजपा उनके रिश्तों की बदौलत ऑपरेशन राजस्थान के लिए समीकरण बनाने की गुंजाइश तलाश रही है। सिंधिया इसमें सहायक साबित हो सकते हैं।

अव्वल तो ज्योतिरादित्य की राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया बुआ हैं और दूसरे वहां के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट उनके अभिन्न मित्र हैं। राजस्थान के कुछ कांग्रेसी विधायकों से भी उनके गहरे संबंध बताए जाते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट की प्रतिस्पर्धा जगजाहिर है। अगर राजस्थान में सत्ता के उलटफेर का खेल शुरू हुआ तो समीकरण बनाने के साथ ही वसुंधरा राजे और सचिन पायलट के बीच समन्वय बनाने में भी सिंधिया कारगर साबित हो सकते हैं।

सिंधिया के बिना उपचुनाव की भी राह कठिन

मध्य प्रदेश में विधानसभा की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं। इन क्षेत्रों में सिंधिया का सर्वाधिक प्रभाव है। मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार के स्थायित्व के लिए उपचुनाव की अधिकांश सीटें जीतना भाजपा के लिए बेहद जरूरी है। यह सिंधिया को साधे बिना संभव नहीं है। मध्य प्रदेश भाजपा के मुख्‍य प्रवक्‍ता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि भाजपा में कहीं कोई खेमा नहीं है। यहां जो भी जिम्मेदारी मिली है, वह संगठन ने दी है और किसकी क्या उपयोगिता है, यह भी संगठन ही तय करेगा।


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