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बिम्सटेक देशों के शीर्ष नेताओं के लिए अहम होगी 30-31 अगस्त को काठमांडू में बैठक

भारत की तरफ से बैठक में सदस्यों देशो के बीच सड़क, रेल व समुद्री मार्गो के एक साझा नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव पेश होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 10:23 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 12:05 AM (IST)
बिम्सटेक देशों के शीर्ष नेताओं के लिए अहम होगी 30-31 अगस्त को काठमांडू में बैठक
बिम्सटेक देशों के शीर्ष नेताओं के लिए अहम होगी 30-31 अगस्त को काठमांडू में बैठक

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। दक्षिण एशियाई देशों के संगठन सार्क का भविष्य फिलहाल तो कुछ खास नहीं दिखता, लेकिन भारत की अगुवाई में इस क्षेत्र में एक दूसरा संगठन बिम्सटेक धीरे-धीरे पैर जमाता दिख रहा है। इस महीने के अंत में नेपाल की राजधानी काठमांडू में बिम्सटेक देशों (भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाइलैंड व म्यांमार) के शीर्ष नेताओं की बैठक इस संगठन के ब्रांड को पुख्ता करने की दिशा में एक अहम कदम होगा।

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भारत की तरफ से बैठक में सदस्यों देशो के बीच सड़क, रेल व समुद्री मार्गो के एक साझा नेटवर्क बनाने का प्रस्ताव पेश होगा। ढांचागत सुविधाओं वाला यह नेटवर्क कुछ वैसा ही होगा जैसा चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) से है लेकिन इसकी फंडिंग व संचालन में सदस्य देशों की भूमिका ज्यादा अहम होगी।

विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि काठमांडू में होने वाली बैठक कई लिहाज से बिम्सटेक देशों के प्रमुखों की अभी तक की सबसे अहम बैठक होगी। सम्मेलन के एजेंडा में सभी सदस्य देशों के बीच ढांचागत परियोजनाओं का समग्र नेटवर्क बनाने के प्रस्ताव पर सहमति बनाना, बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को लेकर मौजूदा गतिरोध को खत्म करना और सदस्य देशों के बीच पर्यटन को बढ़ावा देना सबसे अहम होगा। भारत इस बात का प्रस्ताव रखेगा कि बिम्सटेक देशों के बीच सड़क संपर्क परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने का एजेंडा तय हो।

पिछली बैठक में बंगाल की खाड़ी में भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाइलैंड और श्रीलंका के बीच समुद्री मार्गो के संचालन को लेकर बातचीत शुरु हुई थी। मोटे तौर पर सहमति बनने के बावजूद वित्त पोषण की दिक्कतों की वजह से अभी इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हुई है।

सनद रहे कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अगस्त, 2017 में काठमांडू में ही बिम्सटेक के विदेश मंत्रियों की बैठक में यह ऐलान किया था कि इस संगठन की ढांचागत परियोजनाओं में वह लीडर की भूमिका निभाने को तैयार है। अब इस बार की बैठक में पूरी रूप रेखा पेश करेगा।

वर्ष 1997 में शुरु की गई बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्नीकल एंड इकोनोमिक को-आपरेशन (बिम्सटेक) पर भारत ने वर्ष 2016 से ज्यादा फोकस करना शुरु किया है। यह वही वर्ष है जब सार्क देशों के प्रमुखों की बैठक इस्लामाबाद में होनी तय हुई थी, लेकिन आतंकी हमलों में पाकिस्तान की संदिग्ध भूमिका को देखते हुए अन्य सभी सदस्य देशों ने इसका बायकाट कर दिया था।

अक्टूबर, 2016 में गोवा में ब्रिक्स देशों के प्रमुखों के सम्मेलन के साथ ही भारत ने बिम्सटेक देशों के प्रमुखों की बैठक भी बुलाई थी। बिम्सटेक देशों की घोषणा पत्र में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को लताड़ लगाते हुए कहा गया था कि कोई भी देश आतंकियों को शहीद बताना बंद करे।

बिम्सटेक देशों की बैठक में सदस्य देशों को चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के खिलाफ एकजुट करने की भारत की कोशिश होगी। बिम्सटेक के सात देशों के बीच अपनी ढांचागत परियोजना लगाने का रखा जाएगा प्रस्ताव।


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