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असम में बंद होंगे सरकारी मदरसे ? विधानसभा में विधेयक पेश, कांग्रेस ने किया विरोध

असम में सरकारी मदरसों को बंद करने किए आज विधानसभा में एक विधेयक पेश किया है। असम के के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि हमने एक विधेयक पेश किया है जिसके तहत सभी मदरसों को सामान्य शिक्षा संस्थानों में बदल दिया जाएगा।

By TaniskEdited By: Published: Mon, 28 Dec 2020 12:47 PM (IST)Updated: Mon, 28 Dec 2020 03:29 PM (IST)
असम में बंद होंगे सरकारी मदरसे ? विधानसभा में विधेयक पेश, कांग्रेस ने किया विरोध
असम के के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा।

गुवाहाटी, एएनआइ। असम में सरकारी मदरसों को बंद करने लिए आज विधानसभा में एक विधेयक पेश किया गया। राज्य के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने यह विधेयक पेश किया। उन्होंने कहा कि हमने एक विधेयक पेश किया है, जिसके तहत सभी मदरसों को सामान्य शिक्षा संस्थानों में बदल दिया जाएगा और भविष्य में सरकार द्वारा कोई मदरसा स्थापित नहीं किया जाएगा। हम शिक्षा प्रणाली में वास्तव में धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रम लाने के लिए इस विधेयक को पेश करके प्रसन्न हैं। कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) ने इस विधेयक का विरोध किया है, लेकिन हमें लगता है कि इस विधेयक को पारित करने की आवश्यकता है और इसे पारित किया जाएगा। 

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13 दिसंबर को इसे लेकर एक प्रस्ताव को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी थी। इस दौरान सरमा ने कहा था कि राज्य सरकार ने 'शिक्षा को धर्मनिरपेक्ष' बनाने का फैसला किया है। इसके तहत राज्य में 198 उच्च मदरसे और 542 अन्य मदरसे किसी अन्य सामान्य शैक्षणिक संस्थान के रूप में संचालित होंगे। अक्टूबर में, सरमा ने घोषणा की थी कि राज्य में सभी सरकारी मदरसों व संस्कृत स्कूलों को बंद किया जाएगा। यह कदम असम माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत छात्रों की नियमित शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। मदरसा शिक्षा बोर्ड भंग करके सभी सरकारी मदरसों को सामान्य स्कूलों में तब्दिल कर दिया जाएगा। इसमें सभी को नियमित छात्रों के तौर पर प्रवेश दिया जाएगा। अंतिम वर्ष के छात्रों को उत्तीर्ण होने की अनुमति दी जाएगी। इसके बाद इन स्कूलों में प्रवेश लेने वाले सभी छात्रों को नियमित छात्रों के तौर पर पढ़ाई करनी होगी। 

सरमा ने इस दौरान यह भी कहा था कि सरकार का निजी मदरसों को बंद करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन उन्हें पाठ्यक्रम में विज्ञान व गणित जैसे विषय शामिल करने होंगे और पंजीकरण भी करना होगा। संवैधानिक बाध्यताओं का सम्मान करते हुए मदरसे के चरित्र को बरकरार रख सकते हैं। 

सरमा ने यह भी कहा था कि एकरूपता लाने के लिए सरकारी खर्च पर कुरान पढ़ाने की इजाजत जारी नहीं रखी जा सकती है, क्योंकि तब अन्य समुदायों के लिए धार्मिक शिक्षा के प्रावधान की जरूरत होगी। उन्होंने बताया था कि असम में 610 सरकारी मदरसे हैं। इनपर प्रतिवर्ष 260 करोड़ रुपये का खर्च आता है। उन्होंने कहा था कि संस्कृत स्कूलों को कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत विश्वविद्यालय को सौंपा जाएगा।


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