Rajasthan Politics: भाजपा में जल्द दिख सकता है बड़ा बदलाव, सतीश पूनिया ने दिए संकेत
Rajasthan Politics नई टीम 15 जनवरी के बाद आने की सम्भावना बताई जा रही है और माना जा रहा है कि अब पार्टी में संगठन के अनुशासन पर सबसे ज्यादा जोर रहने वाला है।
जयपुर, मनीष गोधा। राजस्थान भाजपा में सतीश पूनिया के निर्विरोध निर्वाचन के बाद कार्यकर्ताओं को दिए भाषण ने पार्टी में संगठन और कामकाज में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। उनकी नई टीम 15 जनवरी के बाद आने की सम्भावना बताई जा रही है और माना जा रहा है कि अब पार्टी में संगठन के अनुशासन पर सबसे ज्यादा जोर रहने वाला है।
सतीश पूनिया शुक्रवार को पार्टी के निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किए गए, हालंकि उन्हें साढे तीन माहीने पहले ही इस पद पर मनोनीत कर दिया गया था, जबकि उस समय संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी। ऐसे में उनके मनोनयन ने इस बात के संकेत दे दिए थे कि पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व को उनका पूरा समर्थन हासिल है और अब निर्विरोध निर्वाचन ने इस बात को पूरी तरह पुख्ता कर दिया है।
निर्वाचन के बाद अपने भाषण में पूनिया ने तीन अहम संकेत दिए। इनमें सबसे बडा संदेश अनुशासन का था, जिसमें उन्होंने कहा कि चाहे किसी भी स्तर का नेता या कार्यकर्ता हो, लेकिन अब किसी भी तरह की गडबडी माफ नहीं होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह काफी अहम संदेश है, क्योंकि पूनिया के आने के बाद पार्टी के दो धडों में बंटने की सम्भावना बन गई थी और समय के साथ यह गुटबाजी बढने की सम्भावना है। ऐसे में पार्टी अनुशासन बेहद जरूरी है और इसी लिहाज से पूनिया के इस बयान को अहम माना जा रहा है।
उन्होंने दूसरा संकेत पार्टी की लगातार सक्रियता के लिए दिया है और कार्यकर्ताओं को साफ कहा है कि पूरे चार साल उन्हें लगातार सडक पर रहना है। पूनिया संगठन के व्यक्ति रहे है और उनके पास समर्पित कार्यकर्ताओं की अच्छी फौज है, जो उनके पदभार ग्रहण समारोह में नजर भी आई। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी अब लगातार सक्रिय रहेगी।
पूनिया ने तीसरा संकेत खुद को मुख्यमंत्री की पद की दौड में शामिल होने को लेकर दिया। उनके अध्यक्ष बनने के बाद से उत्साही कार्यकर्ता उन्हें मुख्यमंत्री पद की दौड में मानने लगे है और इस तरह की नारेबाजी भी होने लगी है, लेकिन उन्होंने इस तरह की नारेबाजी के लिए साफ मना किया और कहा कि मैं ने किस दौड में हूं और न किसी होड में और यह भी कहा कि 2023 में वे खुद अपने हाथ से मुखिया को तिलक लगाना चाहते, है, यानी उन्होंने खुद को मुख्यमंत्री पद की दौड से बाहर मान लिया है।
पार्टी सूत्रो का कहना है कि उनकी नई टीम की घोषणा के बाद ही सही तौर पर यह पता चलेगा कि राष्ट्रीय नेतृत्व से उन्हें किस हद तक फी्रहैंड मिला है और पार्टी में सभी धडो को साथ लेकर चलने में कहां तक सफल रह पाते है। इतना जरूर है कि आने वालेे समय में पार्टी के संगठन और कामकाज के तरीके में बडा बदलाव देखने का मिलेगा।