भीमा कोरेगांव : दिल्ली HC के फैसले के खिलाफ CJI गोगोई के समक्ष जाएगी महाराष्ट्र सरकार
महाराष्ट्र सरकार भीमा कोरेगांव मामले को लेकर अब नए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के समक्ष जाएगी।
नई दिल्ली [प्रेट्र]। दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा गौतम नवलखा को नजरबंदी से मुक्त करने के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नवलखा उन पांच सोशल एक्टिविस्ट में से हैं, जिन्हें भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में 28 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को उन्हें नजरबंदी से मुक्त करने का आदेश दिया था।
महाराष्ट्र सरकार के अधिवक्ता निशांत कतनेश्वर ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की। 65 वर्षीय नवलखा को राहत देते हुए हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के ट्रांजिट रिमांड के आदेश को भी खारिज कर दिया था। जस्टिस एस. मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने ट्रांजिट रिमांड के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को यह कहते हुए रद कर दिया कि इस मामले में संविधान और सीआरपीसी के मूल प्रावधानों का उल्लंघन किया गया। नवलखा को 24 घंटे से ज्यादा समय हिरासत में रखा गया, जो गलत है। हालांकि हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उसका आदेश महाराष्ट्र सरकार को आगे की कार्रवाई करने से नहीं रोकता है।
नवलखा को महाराष्ट्र पुलिस ने 28 अगस्त को दिल्ली से गिरफ्तार किया था। चार अन्य एक्टिविस्ट वरवर राव, अरुण फरेरा, वरनन गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज को भी देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया गया था।
जानें- कौन हैं गौतम नवलखा
दक्षिण दिल्ली के नेहरू विहार निवासी गौतम नवलखा सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने नागरिक अधिकार, मानवाधिकार और लोकतांत्रिक अधिकार के मुद्दों पर काम किया है। वर्तमान में नवलखा अंग्रेजी पत्रिका इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली (ईपीडब्ल्यू) में सलाहकार संपादक के तौर पर भी काम कर रहे हैं। नवलखा लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) से जुड़े हैं।
नवलखा ने इंटरनेशनल पीपल्स ट्रिब्यूनल ऑन ह्यूमन राइट्स एंड जस्टिस इन कश्मीर के संयोजक भी तौर पर काम किया है। वह कश्मीर मुद्दे पर जनमत संग्रह का समर्थन कर चर्चा में रहे हैं और इसी वजह से मई 2011 में श्रीनगर एयरपोर्ट पर उन्हें रोक लिया गया था और प्रवेश से इनकार कर दिया गया था। कश्मीर की तरह ही छत्तीसगढ़ और झारखंड में भी सेना की कार्रवाई शुरू होने पर गौतम नवलखा माओवांदी आंदोलनों पर भी नजर रखने लगे थे।