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जानिए वो वजहें जिसकी वजह से बालाकोट को हवाई हमले के लिए चुना गया

बालाकोट पाकिस्‍तान के खैबर पख्‍तून प्रांत में कुन्हार नदी के किनारे स्थित है। यहां आतंकी कैंप का प्रयोग हिजबुल मुजाहिदीन द्वारा किया जा रहा था।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 26 Feb 2019 04:57 PM (IST)Updated: Tue, 26 Feb 2019 05:49 PM (IST)
जानिए वो वजहें जिसकी वजह से बालाकोट को हवाई हमले के लिए चुना गया

 नई दिल्‍ली, प्रेट्र। भारतीय वायुसेना ने मंगलवार को बालाकोट में हवाई हमले कर जैश-ए-मुहम्‍मद के आतंकी कैंप को नष्‍ट कर दिया। बालाकोट का प्रयोग आतंक की पौधशाला के निर्माण के लिए किया जा रहा था। इसके लिए उनको प्रशिक्षण पाकिस्‍तान का पूर्व अधिकारी दे रहा है। यह जानकारी सरकार के सूत्रों ने दी।

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खुफिया सूत्रों ने कहा कि यह काउंटर टेरर अटैक था, जो इंटेलिजेंस इनपुट के आधार पर किया गया था। यहां फ़िदायीन दस्‍ते को तैयार किया जा रहा था। बालाकोट पाकिस्‍तान के खैबर पख्‍तून प्रांत के मानशेरा जिले में कुन्हार नदी के किनारे स्थित है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक इससे पहले बालाकोट कैंप आतंकी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिद्दीन का ट्रेनिंग सेंटर था, जिसे कुछ साल पहले जैश-ए-मोहम्मद ने अपने कब्जे में ले लिया था। इस कैंप में ट्रेनिंग देने वाले पाकिस्तानी सेना के पूर्व अधिकारी और अफगानिस्तानी लड़ाके होते थे। 

आतंकी शिविर में कम से कम 325 आतंकी और 25 से 27 प्रशिक्षक थे, जो जैश-ए-मुहम्‍मद द्वारा संचालित किया जा रहा था। इसी आतंकी संगठन ने 14 फरवरी को कश्‍मीर के पुलवामा में आत्‍मघाती आतंकी हमले के लिए जिम्‍मेदारी ली थी। कैंप में कुल 6 बड़ी बैरक थीं और इसकी क्षमता बढ़ाने के लिए निर्माण कार्य जारी था बालाकोट कैंप में कमांडर समेत 300 आतंकी हर समय मौजूद रहते थे। बालाकोट कैंप के संचालन मसूद अजहर का साला यूसुफ अजहर कर रहा था। 

शिविर में आतंकियों को पानी का भी प्रशिक्षण दिया गया। सूत्रों ने कहा कि बालाकोट शहर से 20 किमी दूर स्थित यह शिविर जैश और अन्य आतंकी संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण केंद्र था और इसमें नई भर्तियों और सुविधाओं को समायोजित करने के लिए कई प्रकार के स्‍ट्रक्‍चर था। यहां पर कई मौकों पर जैश के संस्थापक और आतंकी संगठन का मास्टरमाइंड मसूद अजहर और अन्य आतंकी नेताओं द्वारा कई प्रेरणादायक व्याख्यान दिए गए।  

सूत्रों का दावा है कि पुलवामा हमले की साजिश भी बालाकोट कैंप में ही हुई थी। पिछले 3 महीनों में जैश ने 60 जेहादियों को ट्रेनिंग दी गई और पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड अब्दुल रशीद गाजी ने भी बालाकोट में ही ट्रेनिंग ली थी बता दें कि पुलवामा हमले के 10 दिन बाद हुई सैन्य कार्रवाई में गाजी ढेर हो गया था। जैश कमांडर अब्दुल रशीद गाजी दिसंबर 2018 में कश्मीर में दाखिल हुआ था और वहां के नौजवानों को फिदायीन हमले के लिए तैयार कर रहा था।

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बालाकोट कैंप में उन्नत 'दौरा-ए-ख़ास' में आतंकियों को काफी ऊंचाई और अत्यधिक तनाव की स्थितियों में रणनीति बनाने, हथियारों और विस्फोटकों के बारे में, जमीनी रणनीति बनाने, सुरक्षा बलों के काफिले पर हमला, आईईडी लगाने, आत्मघाती बम बनाने, आत्मघाती हमलों के लिए वाहनों में धांधली आदि के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है।

भारत ने हवाई हमले में बालाकोट के आतंकी कैंप में बड़ी संख्या में आतंकियों और उनके प्रशिक्षकों को मार गिराया। यहां पर ये आतंकवादी समूह के प्रशिक्षक भारत में आत्मघाती हमले की तैयारी कर रहे थे। खुफिया ऑपरेशन के बारे में विवरण देते हुए एक पत्रकार वार्ता में विदेश सचिव विजय गोखले ने कहा कि विश्वसनीय तरीके से खुफिया जानकारी मिली थी कि 12 दिन पहले सीआरपीएफ (CRPF) के काफिले पर पुलवामा में आतंकी हमले के बाद भारत में अन्य आत्मघाती हमलों को अंजाम देने की साजिश रच रहा था, जिसमें 40 जवान मारे गए।

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मंगलवार को तड़के साढ़े तीन बजे एक खुफिया अभियान के तहत भारत ने बालाकोट में जैश (JeM)के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया। गोखले ने कहा कि "इस ऑपरेशन में बहुत बड़ी संख्या में जैश के आतंकी, प्रशिक्षक, वरिष्ठ कमांडर और जिहादियों के समूह, जिन्हें फिदायीन कार्रवाई के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा था, को खत्‍म कर दिया गया।  

बताया जाता है कि भारत की ओर से की गई कार्रवाई के बाद बालाकोट इलाके को पाकिस्तानी सेना ने पूरी तरह से घेर लिया है, पाकिस्तान इस समय भारतीय वायुसेना द्वारा की गई एयर स्ट्राइक के सबूतों को मिटा रहा है। 


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