अयोध्या मामले पर SC ने फैसला सुरक्षित रखा, मुस्लिम पक्ष बोला- हम मामले के निपटारे को तैयार
Ayodhya Ram Janmabhoomi hearing Live Update कोर्ट हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच आपसी सहमति से मध्यस्थता के जरिये विवाद सुलझाने पर फैसला देगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनावई शुरू हो गई है। कोर्ट हिंदू-मुस्लिम पक्षों के बीच आपसी सहमति से मध्यस्थता के जरिये विवाद सुलझाने पर फैसला देगा। कोर्ट तय करेगा कि कौन दोनों पक्षों के बीच सहमति से विवाद सुलझाने में मध्यस्थता करेगा।
गौरतलब है कि अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई कर रही पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गत 26 फरवरी को हिंदू-मुसलमान पक्षों के बीच मध्यस्थ के जरिये आपसी सहमति से विवाद सुलझाने का प्रस्ताव दिया था। कोर्ट ने कहा था कि अगर बातचीत के जरिये विवाद सुलझने की एक फीसद भी उम्मीद है तो कोशिश होनी चाहिए।
लाइव अपडेट्सः-
- अयोध्या मामले की मध्यस्थता पर पौने घंटे बहस सुनने के बाद कोर्ट ने मामला मध्यस्थता के लिए भेजने को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है। सीजेआई ने पक्षकारों से कहा कि कोर्ट जल्द ही इस मामले पर फैसला देगा। साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर मध्यस्थता की तरफ मामला बढ़ता है तो पक्षकार अपनी तरफ़ से मध्यस्थ पैनल के नाम आज ही दे दें।
- सुनवाई के दौरान हिन्दू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि अयोध्या विवाद रिप्रेजेन्टेटिव सूट है, एेसे में मध्यस्थता के लिए भेजने से पहले पब्लिक नोटिस निकालना पड़ेगा।
- निर्मोही अखाड़ा को छोड़कर रामलला सहित सभी हिन्दू पक्षकारों ने इस मामले को मध्यस्थता के लिए भेजने का विरोध किया है।
- मुस्लिम याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा, "मुस्लिम याचिकाकर्ता मध्यस्थता और समझौते के लिए तैयार हैं।"
- सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबड़े ने कहा, 'यह मामला भावनाओं से जुड़ा है, आस्था और धर्म से जुड़ा है। हमें विवाद की गहराई का भी अंदाजा है।' उन्होंने कहा कि इस मामले को सुलझाने के लिए एक नहीं बल्कि कई लोगों का पैनल होना चाहिए।
- जस्टिस बोबड़े ने कहा, 'इतिहास में क्या हुआ उस पर हमारा नियंत्रण नहीं। किसने घुसपैठ की, कौन राजा था, मंदिर था या मस्जिद थी। लेकिन हम आज के विवाद के बारे में जानते हैं। हम सिर्फ विवाद सुलझाना चाहते हैं।
- जस्टिस बोबड़े ने कहा, 'जब मध्यस्थता शुरू होगी तो इस पर कोई रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए।'
कोर्ट ने पूछी थी पक्षकारों की राय
कोर्ट ने अपने प्रस्ताव पर पक्षकारों की राय पूछी थी, जिसमें मुस्लिम पक्ष व निर्मोही अखाड़ा की ओर से सहमति जताई गई थी। रामलला, महंत सुरेश दास और अखिल भारत हिंदू महासभा ने प्रस्ताव से असहमति जताते हुए कोर्ट से ही जल्द फैसला सुनाने का आग्रह किया था। उनका तर्क था कि इस प्रकार के प्रयास पूर्व में भी हो चुके हैं, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।