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SC में सीलबंद लिफाफे में पेश की गई मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट, कल संविधान पीठ करेगी सुनवाई

अयोध्या विवाद मामले (Ayodhya Case) में गठित मध्यस्थता पैनल (Mediation panel)ने सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में फाइनल रिपोर्ट पेश कर दी है।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 01 Aug 2019 08:39 AM (IST)Updated: Thu, 01 Aug 2019 05:10 PM (IST)
SC में सीलबंद लिफाफे में पेश की गई मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट, कल संविधान पीठ करेगी सुनवाई
SC में सीलबंद लिफाफे में पेश की गई मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट, कल संविधान पीठ करेगी सुनवाई

नई दिल्ली, जेएनएन। अयोध्या विवाद मामले (Ayodhya Case) में गठित मध्यस्थता पैनल (Mediation panel) की रिपोर्ट बृहस्‍पतिवार को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में सीलबंद लिफाफे में पेश की गई। रामजन्मभूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित मध्यस्थता कमिटी, सभी पक्षों के साथ यूपी सदन में बैठक की। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक कमेटी को बृहस्‍पतिवार को ही सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल कर मध्यस्थता की प्रगति बतानी है। कोर्ट इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा।

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बता दे, कोर्ट में इस मामले की अगली सुनवाई 2 अगस्त को होगी। उसी दिन सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि मामले में रोजाना सुनवाई हो या फिर मध्यस्थता प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाए।इससे पहले 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल को 31 जुलाई तक फाइनल रिपोर्ट देने का कहा था। 

सुप्रीम कोर्ट में 2 अगस्त को सुनवाई
अयोध्या भूमि विवाद मामला की सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट देखी, लेकिन उसमें क्या है यह सार्वजनिक नहीं किया। कोर्ट ने पैनल से 31 जुलाई तक मध्यस्थता जारी रखने और रिपोर्ट देने को कहा था। कोर्ट 2 अगस्त को मामले पर फिर सुनवाई करेगा। 18 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कहा थाकि अगर मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट मे कुछ सकारात्मक नहीं निकला, तो वे 2 अगस्त को मामले पर रोज़ाना सुनवाई करने पर भी विचार करेंगे। इसी दिन और मुद्दे और सुनवाई की रूपरेखा भी तय होगी।सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई(Ranjan Gogoi) की अध्यक्षता और जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण व जस्टिस एस. ए. नजीर की सदस्यता वाली संवैधानिक बेंच कर रही है।

बता दें, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में विवादित भूमि को तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इससमें एक हिस्सा भगवान रामलला विराजमान और दूसरा निर्मोही अखाड़ा व तीसरा हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया था। इस फैसले को भगवान राम सहित हिंदू-मुस्लिम सभी पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। कोर्ट के आदेश से फिलहाल यथास्थिति कायम है। इस बीच आठ मार्च को शीर्ष कोर्ट ने अयोध्या विवाद को मध्यस्थता के जरिये सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश फकीर मुहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी। सर्वमान्य हल तलाशने के लिए समिति को 15 अगस्त तक का समय दिया गया है।

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