नौसेना पनडुब्बी परियोजना में अडानी को जोड़ने की कोशिश, राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े सौदे पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
सुरजेवाला ने कहा कि 75-आई परियोजना के लिए नौसेना के कंट्रोलर आफ वारशिप प्रोडक्शन एंड एक्विजिशन की अध्यक्षता में एक अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया जिसने आवेदन मांगे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस ने नौसेना की 45 हजार करोड़ रुपये की 75-आई पनडुब्बी परियोजना में रक्षा खरीद नियमों के खिलाफ अडानी समूह की कंपनी अडानी डिफेंस जेवी को शामिल करने के प्रयास का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा है कि अडानी डिफेंस जेवी को नौसेना की पनडुब्बी या जहाज बनाने का कोई अनुभव ही नहीं है। न ही कंपनी को नियमों के हिसाब से इतनी बड़ी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी परियोजना का कांट्रेक्ट हासिल करने की पात्रता। कांग्रेस ने इन सवालों के साथ प्रधानमंत्री और रक्षामंत्री से इस सौदे की पारदर्शिता को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।
कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि अडानी डिफेंस और हिन्दुस्तान शिपायर्ड लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम को नौसेना की 45 हजार करोड रुपये की परियोजना देने के मामले पर शुक्रवार को कैबिनेट में निर्णय प्रस्तावित है। इसीलिए अहम सवालों का स्पष्टीकरण सरकार को देना चाहिए किक्यों परियोजना के लिए नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति के फैसलों के विपरीत अडानी डिफेंस-एचएसएल जेवी को सौदे के लिए चुना जा रहा है।
आवेदन में अडानी-एचएसएल जेवी भी
सुरजेवाला ने कहा कि 75-आई परियोजना के लिए नौसेना के कंट्रोलर आफ वारशिप प्रोडक्शन एंड एक्विजिशन की अध्यक्षता में एक अधिकार प्राप्त समिति का गठन किया गया जिसने आवेदन मांगे। पांच कंपनियों के आवेदन में अडानी-एचएसएल जेवी भी था। नौसेना की अधिकार प्राप्त समिति ने नियमों की कसौटी पर इसमें से दो कंपनियों भारत सरकार की कंपनी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड और लारसन एंड टूब्रो को परियोजना की पात्रता के लायक चुना और अडानी-एचएसएल के आवेदन को खारिज कर दिया गया।
सुरजेवाला के अनुसार इसके बावजूद 2016 के रक्षा खरीद नियमों और नौसेना की समिति के रुख के विरुद्ध इस कंपनी को परियोजना में शामिल करने का मौका दिया जा रहा है जो दर्शाता है कि सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के प्रयास में जुटी है।
मंत्रालय ने अभी तक नहीं बताई वजह
उनके मुताबिक रक्षा खरीद नियमों के हिसाब से 1000 करोड रुपये से अधिक के अनुबंध के लिए कंपनी की क्रेडिट रेटिंग 'ए' होनी चाहिए। ताकि कंपनी की जहाज निर्माण की क्षमता का आकलन किया जा सके। लेकिन इससे इतर जाकर रक्षा मंत्रालय ने क्रेडिट रेटिंग कमजोर कर 'ट्रिपल बी' कर दी और इस उदारता की वजह मंत्रालय ने अभी तक नहीं बताई है। उनका यह भी कहना था कि आवेदन की आखिरी तारीख 11 सितंबर 2019 के बाद अडानी डिफेंस-एचएसएल का गठन किया गया है और बिना स्पेशल पर्पस व्हिकल बनाए ही आवेदन डाल दिया गया।
सुरजेवाला ने दावे के समर्थन में हिन्दुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के एमडी एडमिरल एल वी शरत बाबू के 28 सितंबर 2019 के प्रेस कांफ्रेंस में दिए बयान का हवाला दिया जिसमें बाबू ने कहा था कि एसपीवी गठन की सरकार से मंजूरी ली जा रही है। सुरजेवाला ने कहा कि पीएम और रक्षामंत्री को इसका जवाब देना चाहिए कि इतनी अहम सुरक्षा परियोजना में नियमों की अनदेखी क्यों की जा रही है?