श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार के बीच जंग, जानें क्या है पूरा मामला
केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच श्रमिकों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने के लिए अब सोशल मीडिया पर आरोप- प्रत्यारोप शुरू हो गया है।
रायपुर, राज्य ब्यूरो। देश के अलग- अलग राज्यों में कोरोना वायरस के प्रसार के कारण लगे लॉकडाउन में फंसे श्रमिकों के लिए चलाई जा रहीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर फिर राजनीति गर्माने लगी है। केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच अब सोशल मीडिया पर आरोप- प्रत्यारोप शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल के एक ट्वीट से हुई है। इसमें गोयल ने छत्तीसगढ़, राजस्थान, बंगाल और झारखंड सरकार पर श्रमिक ट्रेनों को अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया है। इस पर छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पलटवार कर रेल मंत्री पीयूष गोयल के बयान को तथ्यहीन बताया। कहा कि हम तो 30 ट्रेनें मांग रहे हैं, अब तक 14 की ही अनुमति मिली है।
छत्तीसगढ़ की ओर से 30 ट्रेनों की अनुमति मांगी गई है और हमें अब तक सिर्फ़ 14 मिली हैं।
ट्रेनों के लिए हम क़रीब 1.17 करोड़ का भुगतान भी रेलवे को कर चुके हैं।
रेलवे या किसी राज्य की ओर से कोई प्रस्ताव हमारे पास लंबित नहीं है।
केंद्रीय रेल मंत्री जी आपका बयान तथ्यहीन और आधारहीन है। https://t.co/xrLNIDuM2a" rel="nofollow pic.twitter.com/hDJbDSu6VJ — Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) May 15, 2020
एक करोड़ का भुगतान कर चुकी छत्तीसगढ़ सरकार
सीएम भूपेश बघेल ने पीयूष गोयल को रि-ट्वीट करते हुए यह भी बताया कि इन ट्रेनों के लिए राज्य सरकार अब तक एक करोड़ से अधिक रुपयों का भुगतान भी कर चुकी है। भूपेश बघेल ने पीयूष गोयल के बयान को आधारहीन और तथ्यहीन करार दिया।
इससे पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट किया कि 'रेलवे रोजाना 300 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाकर कामगारों को उनके घर पहुंचाने के लिए तैयार हैं, लेकिन मुझे दुख है कि कुछ राज्यों जैसे बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ व झारखंड की सरकारें इन ट्रेनों को अनुमति नहीं दे रही हैं, जिससे श्रमिकों को घर से दूर कष्ट सहना पड़ रहा है'। जवाब में भूपेश बघेल ने 14 ट्रेनों की सूची के साथ ट्वीट किया है।
श्रमिकों के किराये को लेकर भी जुबानी जंग
गौरतलब है कि इससे पहले प्रवासी मजदूरों के लिए देश के अलग- अलग हिस्सों में लगी स्पेशल ट्रेनों में सफर करने वाले श्रमिकों के किराये को लेकर भी जुबानी जंग हुई है। राज्य सरकारों का दावा है कि इन ट्रेनों का पूरा किराया राज्य दे रहे हैं। वहीं, केंद्रीय नेता और मंत्री का कहना है कि स्पेशल ट्रेन के किराया का 85 फीसद रेलवे वहन कर रहा है, राज्यों को केवल 15 फीसद ही देना पड़ा है। हालांकि, राज्यों का कहना है कि रेलवे आने-जाने और रिक्त सीटों का किराया भी राज्यों से वसूल रहा है।